जनवरी 16, 2013

रेलवे का फरमान है बेअसर

मुकेश कुमार सिंह
रेलगाड़ी, रलवे स्टेशन और रेलवे परिसर की स्वच्छता के लिए रेल मंत्रालय द्वारा यात्रियों के लिए जारी जुर्माने का फरमान सहरसा में न केवल बेअसर है बल्कि हद की इंतहा देखिये की इस फरमान की जानकारी न तो यात्रियों को है और न ही रेल अधिकारी और कर्मियों को ही।सहरसा रेलवे स्टेशन से पलायन की वजह से एक तो यात्रियों की भीड़ मेले की शक्ल में रोजाना देखने को मिलती है जहां फकत अफरा--तफरी का आलम होता है।ऐसे में रेलवे के द्वारा यात्रियों को गंदगी ना फैलाने का फरमान सुनाने भर से काम नहीं चलने वाला।इसके लिए रेलवे को बड़े होमवर्क के साथ यात्रियों के बीच जाना होगा।लेकिन जहां अधिकारी--कर्मी को ही इस फरमान की जानकारी न हो तो आप ऐसे फरमान के बेहतर परिणाम की कैसे उम्मीद पालेंगे।संभव है की इस फरमान का बिहार के अन्य रेलवे स्टेशन पर खासा असर हो लेकिन सहरसा में तो यह फरमान पूरी तरह से बेजा और मजाक बना हुआ है। 
सहरसा स्टेशन पर यात्रियों का हुजूम जमा है।किसी भी यात्री को यह मालूम नहीं है की गंदगी फैलाने पर उन्हें जुर्माना देना पड़ेगा। सहरसा टाईम्स ने रेलवे के इस फरमान की सिद्दत से पड़ताल की तो जो तस्वीर उभर कर सामने आई वह बेहद शर्मनाक थी।यात्रियों को इस फरमान की कोई जानकारी नहीं थी और हमारे द्वारा जुर्माने के जिक्र भर से वे डर--सहम गए। यात्रियों को जागरूक करने के लिए सहरसा रेलवे स्टेशन पर न तो कहीं कोई स्लोगन ही लिखे हुए हैं और न इस बात का किसी भी तरीके से प्रचार--प्रसार ही किया गया है।यात्री सहरसा टाईम्स से यह जरुर कह रहे हैं की गंदगी फैलाकर उन्होनें गलती की है।वे न केवल अभी गंदगी को साफ़ कर देंगे बल्कि वे आगे से कभी भी गंदगी नहीं फैलायेंगे।यह थोड़ी सी जागरूकता भी रेलवे की वजह से नहीं बल्कि सहरसा टाईम्स की पहल का नतीजा है।
हमने सबसे पहले प्लेटफ़ॉर्म पर सफाई कर कर रही महिला सफाईकर्मी अनीता देवी से जानना चाहा की क्या वे लोगों को गंदगी फैलाने से नहीं रोकती हैं।इनका जबाब था की वे रोकना चाहती हैं लेकिन यात्री उनसे उलझ जाते हैं और उन्हें पीटने पर आमदा हो जाते हैं।ऐसे में उनके बस में क्या है। 
सहायक स्टेशन मास्टर रंजय कुमार
अब आपको हम रेलवे के एक जिम्मेवार अधिकारी से मिलवाते हैं।ये हैं सहायक स्टेशन मास्टर रंजय कुमार।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इन्हें यात्रियों को गंदगी फैलाने पर किसी तरह का जुर्माना देना होगा,इसकी कोई जानकारी नहीं है।ये कहते हैं की यात्री गंदगी न फैलाएं इसके लिए स्टेशन परिसर में विभिन्य तरह के स्लोगन लिखे हुए बैनर--पोस्टर आदि होने चाहिए।ऐसा करने से यात्रियों में जागरूकता आएगी।लेकिन रेलवे परिसर में दूर--दूर तक ऐसा कुछ भी नहीं है।यह अधिकारी रेलवे पर खुद कई सवाल करते नजर आ रहे हैं।
 हम इतने पर ही बस नहीं बोले।यातायात निरीक्षक एस.एन पंडित से भी सहरसा टाईम्स ने इसको लेकर खास बातचीत की।इनकी मानें तो बिहार के लोगों में गंदगी फैलाने की आदत है।इनकी नजर में ऊपर से अभी ऐसा कोई फरमान नहीं मिला है जिसमें यात्रियों पर किसी तरह के जुर्माने की बात हो।वैसे दिल्ली से चले कागज़ को अपने गंतव्य तक पहुँचने में कुछ समय तो लग ही जाता है।यानि फरमान वाला कागज़ कहीं बीच में ही अटका हुआ है।
हद हो गयी भाई।ए ग्रेड के रेलवे स्टेशन सहरसा में यात्रियों से पहले रेल अधिकारी और रेल कर्मियों को ना केवल जागरूक करने की जरुरत है बल्कि उनको उनके कर्तव्य को लेकर कड़ा होमवर्क कराने की भी जरुरत है।फिलवक गंदगी फलाने पर जुर्माने का फरमान सहरसा में बेजा और मजाक बना हुआ है।

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