जनवरी 21, 2013

9 साला बच्ची ने गुरूजी पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप

मुकेश कुमार सिंह: एक बार फिर पाक रिश्तों में अति विशिष्ट गुरु--शिष्य रिश्ते के चिथड़े उड़े हैं।महज नौ वर्षीय दूसरी कक्षा की एक छात्रा ने अपने स्कूल के प्रिंसिपल पर उसके साथ अप्राकृतिक और गलत कार्य करने की कोशिश का गंभीर आरोप लगाया है।सदर थाने में अपने परिजनों के साथ न्याय के लिए पहुंची पीड़िता बच्ची के बयान को पुलिस ने तत्काल प्राथमिकता देते हुए एक तरफ जहां थाने में तुरंत मामला दर्ज कर आरोपी प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया है।  यह नौ वर्षीय बच्ची है जो दूसरी कक्षा की छात्रा है।सदर थाना क्षेत्र के राधा नगर स्थित आवासीय फंडामेंटल ट्यूशन ब्यूरो में पिछले तीन वर्षों से  रहकर यह पढ़ रही थी।इस बच्ची के मुताबिक़ 18 जनवरी की रात में जब यह सोयी हुयी थी तो इसके गुरूजी नरेश मोहन झा जो स्कूल के प्रिंसिपल भी हैं उसके कमरे में आये और उसे अपनी गोद में बिठाकर उसके साथ गलत हरकत करने लगे।उसने इसका प्रतिकार करते हुए शोर किया तो गुरूजी वहाँ से भाग खड़े हुए।बच्ची ने आगे बताया है की स्कूल प्रिंसिपल उसके सिवा स्कूल की पांच और बच्चियों के साथ ऐसी हरकत कर चुके हैं।इसके मुताबिक़ उन बच्चियों में से अभी दो बच्चियां जहां गाँव में है वहीँ तीन बच्चियां अभी स्कुल में मौजूद हैं। बच्ची से सहरसा टाईम्स ने जब यह पूछा की उन पाँचों बच्चियों ने इस जघन्य घटना को लेकर क्या किया तो इसका कहना था की उन बच्चियों ने इसकी शिकायत अपने परिजनों से की थी।उसके परिजनों ने मार्च में परीक्षा खत्म होने के बाद स्कूल से उन्हें निकाल लेने की बात कही थी।पीड़िता का कहना है की वह पढ़ना चाहती है लेकिन इस परिस्थिति में आगे कैसे पढ़ पाएगी।पीड़िता बच्ची के पिता की पूर्व में ही वज्रपात की चपेट में आने से मौत हो चुकी है।इस बच्ची का परवरिश उसके RPF जवान मामा और शिक्षिका मामी कर रहे हैं।बच्ची के साथ थाने पहुंची उसकी मामी का कहना है की बच्ची ने उन्हें कल 19 जनवरी की सुबह में फोन करके घटना की जानकारी दी।वह कल 19 जनवरी को अपने गाँव पंचगछिया से सहरसा आई तो बच्ची ने उसे स्कुल से तुरंत ले जाने की बात कही।उन्होनें इस घटना को लेकर प्रिंसिपल से भी बात करनी चाही लेकिन वे वहाँ पर नहीं मिले।इनकी नजर में भी प्रिंसिपल ने बड़ा गुनाह किया है जिसे सजा दी जानी चाहिए।
आरोपी प्रिंसिपल
 अब हम आपको आरोपी प्रिंसिपल का बयान सुनाते हैं।इनकी मानें तो उन्हें इस आरोप को सुनकर कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है की वे क्या कहें।जिसे वे अपनी बच्ची की तरह पाल रहे थे,आखिर वह ऐसा बयान देकर उन्हें क्यों कलंकित कर रही है।प्रिंसिपल साहब साफ़--साफ़ बताते हैं की जनवरी माह से उन्होनें स्कूल की फ़ीस बढ़ा दी है और पिछले तीन माह का बकाया भी बच्ची के परिजनों पर है।अब भगवान जाने झूठी बात से उन्हें क्यों फंसाया जा रहा है।
इस मामले में पुलिस अधिकारी पीड़िता के बयान को महत्व देते हुए उसी आधार पर काण्ड दर्ज कर कारवाई की बात कर रहे हैं।पुलिस ने काण्ड अंकित कर आरोपी गुरूजी को तत्काल गिरफ्तार भी कर लिया है।वैसे बताना लाजिमी है की छात्रावास में फिलवक्त मौजूद चार बच्चियों में से किसी ने भी इस घटना की पुष्टि नहीं की है।कुछ बच्चे भी छात्रावास में हैं,वे भी इस घटना से पूरी तरह से इनकार कर रहे हैं।इन बच्चों की माने तो छात्रावास में ऐसी किसी घटना के बारे में उन्होनें कभी कुछ सूना ही नहीं है।यानि इस तरह की कोई घटना यहाँ पर घटी ही नहीं है।
जाहिर तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार पुलिस के लिए पीड़िता का बयान सर्वोपरि है।पुलिस ने पीड़िता के बयान पर सदर थाना में मामला दर्ज कर आरोपी गुरूजी को गिरफ्तार भी कर लिया है।लेकिन गिरफ्त में आये गुरूजी के पुराने चरित्र और उनके व्यक्तित्व का जो इतिहास है उसमें न केवल एक गुरूजी की पूरी गरिमा छुपी हुयी है बल्कि उनका सामाजिक दायरा भी उत्तम और बेदाग़ है।इस मामले में एक साफ़--सुथरे व्यक्ति के जीवन भर की पूरी पूंजी का एक साथ क्षय है।पुलिस को पीड़िता के बयान का ख्याल तो रखना ही चाहिए लेकिन पूरी पारदर्शिता के साथ इस मामले की जांच भी होनी चाहिए।पुलिस को अगली कारवाई से पहले इस मामले का सिद्दत से तटस्थ पड़ताल करने की जरुरत है। सहरसा टाईम्स सदैव पीड़ितों के पक्ष में खड़ा रहा है लेकिन पीड़ित की वाजीवियत को समझना भी हमारा फर्ज है।पुलिस अधिकारियों को इस मामले में कतई जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।एक संसय बरकरार है की कहीं यह घटना किसी अन्य वजह से प्रायोजित तो नहीं है।वैसे अब सारा कुछ पुलिसिया अनुसंधान पर निर्भर करता है की वे आगे क्या खंगाल कर निकालते हैं।मामला अति संवेदनशील है,इसलिए एक तरफ जहां इस मामले में स्कूल एसोशिएसन को आगे आना चाहिए वहीँ स्वस्थ समाज के गुनी लोगों को भी आगे बढ़कर सच खंगालने की सामूहिक कोशिश करनी चाहिए।यूँ बताते चलें की इस तरह के मामले समाज के चंद छुटभैये और सरफिरों के लिए महज सियासत और षड्यंत्र का सामान होता है।हमें ऐसे बेहुदे और नापाक क़दमों को भी कुचलने की जरुरत है।

1 टिप्पणी:

  1. गुनी लोगों को भी आगे बढ़कर सच खंगालने की सामूहिक कोशिश करनी चाहिए।यूँ बताते चलें की इस तरह के मामले समाज के

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।