अगस्त 21, 2016

सहरसा ग्रुप का नायाब कार्यक्रम, बुद्धिजीवियों का लगा जमावाड़ा ...


सोसल मीडिया को लेकर एक--दूसरे के बिचारों को किया साझा 

कवितायें और गजलों के साथ--साथ बही सुरों की दरिया

मुकेश कुमार सिंह की दो टूक--- सहरसा ग्रुप के संयोजक कुमार रविशंकर और उनके सहयोगियों के द्वारा आज सहरसा के रेडक्रॉस सेमीनार हॉल में मिलन समारोह आयोजित किया गया । इस आयोजन का मकसद यह था की आज सोसल मीडिया का महत्व काफी बढ़ गया है और शासन--प्रशासन में जमे लोग भी सोसल मीडिया की नोटिश ले रहे हैं । 
कार्यक्रम का आगाज बीजेपी नेता डॉक्टर राम नरेश सिंह, एसडीओ सदर जहांगीर आलम, एसडीपीओ सुबोध विश्वास, सोशल मीडिया व ब्लागिंग जगत के चर्चित शख़्सियत डॉ० रवीन्द्र प्रभात (लखनऊ)
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. रामनरेश सिंह, ( विभागाध्यक्ष मैथिली विभाग, पीजी सेंटर सहरसा) गज़लकार व शायर अनिरूद्ध सिन्हा,समकालीन कविता के कुमार विजय गुप्त (मुंगेर), डॉ० के.एस. ओझा (प्राचार्य एस०एन०एस कॉलेज, सहरसा सहित कई

सम्मानित लोगों ने एक साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया ।
इस मौके पर बीजेपी नेता डॉक्टर राम नरेश सिंह ने सोशल मीडिया की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण बताया ।एसडीपीओ और एसडीओ ने भी मंच साझा किया और गजल गाये ।आज सोसल मीडिया आमलोग के हक की आवाज सिद्दत से ना केवल उठा रहा है बल्कि लोगों को उसका हक़ भी दिला रहा है। मधेपुरा टाईम्स, कोसी एक्सप्रेस और सहरसा टाईम्स के संचालक ने भी सोसल मीडिया को लेकर अपनी बेबाक राय रखी । बाहर से आये मुख्य लोगों ने कहा की इस बदलते परिवेश में सरकार से लेकर जन--मानश तक सोशल मीडिया की मजबूत पकड़ हो गयी जिससे समाज सुधार के साथ--साथ समाज को जागरूक करने में काफी मदद मिलेगी । इस ख़ास मौके पर सहरसा टाईम्स के संचालक चन्दन सिंह, मधेपुरा टाईम्स के राकेश सिंह और कोसी एक्सप्रेस के संचालक कुनाल जी को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया ।
इस कार्यक्रम ने एक बड़ा सन्देश दिया की कम अंतराल पर सोशल मीडिया से जुड़े लोगों को एक जगह जमा होकर विचारों का आदान--प्रदान करना चाहिए। सोसल मीडिया का महत्व पत्र--पत्रिका, टीवी न्यूज से कहीं कमतर नहीं है । आज चौथे स्तम्भ का यह भी एक मजबूत पिलर है ।
कार्यक्रम में शशि सरोजनी नाट्य सेवा संस्थान के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसने उपस्थित जनों का मन मोह लिया। सहरसा टाईम्स के मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपनी दमदार शैली में कुछ आकर्षक और जमीनी बातें कहीं,जिसे लोगों ने दिल से सराहा ।
कुल मिलाकर यह कार्यक्रम ना केवल सफल भर रहा बल्कि यह कार्यक्रम।लगातार हो,इसकी जरुरत भी बता गया ।

1 टिप्पणी:

  1. माफ करें मैथ‍िली जिंदाबाद के कोई भी प्रतिनीधि‍ मेरे हिसाब से वहाँँ मौौजूद नहीं थे । कृप्या करेक्शन करे लें ।

    जवाब देंहटाएं


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।