मार्च 15, 2017

जदयू छोड़ जनतांत्रिक जनहित पार्टी का थामा दामन

सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ थामा दामन.....

जदयू अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष के नेतृत्व में बदला पाला.....
सहरसा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---
एक तरफ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री देश के अगले प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब पाले हुए हैं,तो दूसरी तरफ बिहार के कई जिलों में पार्टी के पदधारक और सक्रीय कार्यकर्ता पार्टी का दामन छोड़ रहे हैं ।विभिन्य जिलों में ऐसे कई पदधारक और थोक में कार्यकर्ता हैं जो पार्टी के अंदर तानाशाही और सम्मान में निरंतर होती गिरावट से क्षुब्ध हैं ।
इसी कड़ी में आज सहरसा जिला मुख्यालय के चन्दू सिंह स्मारक प्रांगण में जदयू के उपेक्षित कार्यकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गयी ।इस बैठक की अध्यक्षता जिला जदयू के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष प्रशान्त प्रियदर्शी ने की ।श्री प्रियदर्शी ने बताया की जदयू में अब आंतरिक लोकतंत्र नहीं रहा ।आंतरिक लोकतंत्र की ह्त्या पार्टी के अंदर शामिल कुछ अलोकतांत्रिक तथाकथित नेताओं ने कर दी है । पार्टी के भीतर वास्तविक और समर्पित नेता--कार्यकर्ता का कोई मान--सम्मान नहीं होता है । प्रशांत प्रियदर्शी ने आगे कहा की सूबे के मुखिया आर.सी.पी. सिंह जैसे दलाली करने वाले लोगों से घिर गए हैं ।नीतीश बाबू की मति मारी गयी है । गैर लोकतांत्रिक तरीके से जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष सह अस्थवां के पूर्व विधायक सतीश कुमार को पार्टी से निकाल बाहर किया गया ।सतीश कुमार के साथ अन्याय हुआ है जिसका हम ना केवल विरोध करते है बल्कि इसी वजह से जदयू को तिलांजलि भी दे रहे हैं ।श्री प्रियदर्शी ने आगे कहा की अभी वे सैंकड़ों कार्यकर्ता के साथ जदयू से इस्तीफा देकर जनतांत्रिक जनहित पार्टी में जा रहे हैं ।धीरे--धीरे सहरसा सहित बिहार के विभिन्य जिलों के हजारों साथी हमारे साथ होंगे ।
जदयू से इस्तीफा देने वाले पदधारकों में सिमरी बख्तियारपुर अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रखंड अध्यक्ष घनश्याम सिंह और बरहशेर पंचायत के पंचायत अध्यक्ष सूर्य नारायण महतो भी शामिल हैं ।इसके अलावे सक्रिय सदस्य नीलम देवी,त्रिफुल देवी,सचिन कुमार,अशोक राय,गोल्डेन कुमार, मनीष कुमार,रमण कुमार सहित सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर जनतांत्रिक जनहित पार्टी का दामन थामा ।
इस तरह से जदयू के कई पदधारकों के साथ सैंकड़ों कार्यकर्ताओं का यूँ पाला बदलकर एक नयी पार्टी के साथ जुड़ना जदयू के लिए अच्छे संकेत नहीं है । उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिले प्रचण्ड बहुमत के बाद प्रदेश की राजनीतिक हवा कुछ बदली--बदली सी है ।राजद और कांग्रेस नीतीश कुमार पर आँखें तरेर रहे हैं ।सत्तारूढ़ दल के आपसी रिश्ते में खटास की बू आ रही है ।ऐसे में जदयू के भीतर हो रही टूट नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी है ।समय रहते अगर नीतीश कुमार ने अपने जमीनी नेता और समर्थकों को नहीं टटोला,तो आने वाले दिनों में उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है ।वैसे हम ताल ठोंककर कहते हैं की राजद,कांग्रेस से ईतर जदयू के भीतर भी सबकुछ ठीक--ठाक नहीं चल रहा है ।एक गहरी खामोशी है,जो किसी बड़े तूफ़ान आने की और इशारे कर रहा है ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।