संघर्ष के सही मायने से,आदमजात है च्यूत...........
संघर्ष के सही मायने तलाशने की हम कर रहे एक अदद कोशिश.......
पूजा परासर--(आधी आवादी सोशल ग्रुप से लिया गया आलेख)-------
सभी स्तर के लोगों ने जीवन को अपने तरीके और अपनी सोच के अनुसार नाम दिया है । कोई इसे "आनंद" मानता है,तो कोई इसे "महोत्सव" समझता है ।कोई इसे "निर्झर "तो कोई इसे उन्नत कर्मो की प्रयोगशाला ।और कोई इसे अनवरत "संघर्ष "समझता है ।हमने पहले भी कहा है कि ये सारे नाम अलग-अलग सोच के परिणाम हैं ।वैसे कड़वा सच यह है की सभी के जीवन को मैंने खुद से नहीं जिया है ।लेकिन मैंने अपनी उम्र और परख के साथ--साथ संगृहीत अपने अनुभव के आधार पर अपने जीवन में ऐसा बहुत कुछ जानने, समझने और महसूसने का प्रयास किया है जिसमें अनेको के जीवन के फलसफे का समावेश है ।
हम भटकना नहीं चाहते इसलिए वापिस अपने विषय पर आते हुए हम बताना चाहेंगे की संघर्ष एक विशाल शब्द है जिसका अति विशाल अर्थ हैं । जब किसी के जीवन में मुश्किल का दौर आता है तो हम उसे संघर्ष मान लेते हैं ।लेकिन आज भी कई ऐसी जिंदगी है जो हर पल संघर्षरत है ।ऐसे लोग बामुश्किल ही मिलेंगे जिनके जीवन में संघर्ष ना हो ।नीचे से लेकर शीर्ष तक के जीवन में संघर्ष होता है लेकिन हर जगह संघर्ष का स्वरूप और उसका आकार भिन्न होता है ।जिनका जीवन हर पल जमीनी तौर से संघर्षरत है,उनकी समाज में भागीदारी परोक्ष और अपरोक्ष दोनों रूप में सबसे अधिक होती है ।ऐसे लोग आपको बामुश्किल मिलेंगे,जिनके जीवन में संघर्ष ना हो ।इनके जीवन में सिर्फ संघर्ष नहीं होता,बल्कि ये संघर्ष में ही कहीं जीवन की तलाश करते हैं और सिर्फ इसलिए जीते हैं,ताकि उनकी उपस्थिति से समाज में कुछ अच्छे परिवर्तन लाए जा सकें ।ऐसे लोग केवल आत्मविश्वास के बल पर अपने पथ पर निरंतर अग्रसर रहते हैं ।भले ही इन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ।लेकिन अपार कष्ट सहकर भी ये अपना मार्ग नहीं छोड़ते और अंतत: इतिहास गढ़ते हैं ।
हमारा जिद्दी और हठी होना बहुत जरुरी है ।लेकिन यहां यह बेहद जरुरी है की हमें यह ध्यान में है की नहीं की ""हमारा जूनून औरों के लिए कल्याणकारी है या दमनकारी"" ।केवल आपके किए गए अच्छे कर्म से ही आपके अंदर की नैसर्गिक प्रतिभाओं में विराट निखार आता है । बात अभी संघर्ष की खत्म नहीं हुयी है ।आप जब ट्रेन पर बड़ी भीड़ के दौरान सवार होती या होते हैं तो, सबसे पहले कम्पार्टमेंट के अंदर प्रवेश करना सबसे बड़ी चुनौती होती है ।फिर आप कैसे खड़ा रहें ?फिर आप बैठने की जुगत करते हैं ।यहां भी आपके संघर्ष के मुताबिक़ परिणाम मिलते हैं । अब देखिये टाटा,बिड़ला,अम्बानी,खेतान या और भी बड़े उद्योगपति जिन्हें अकूत सम्पदा है,फिर भी उनका संघर्ष जारी है । वे रोजाना कुछ ना कुछ नया और बड़ा करने की सोच रखते हैं ।यही वजह है की वे संघर्ष के साथ चल रहे हैं ।
संघर्ष में सफलता और विफलता दोनों है ।अब आप एक रिक्शा चालक और ठेले चालक से लेकर दिहाड़ी के मजदूर के संघर्ष को देखें ।ये अपने संघर्ष का सीमित परिणाम चाहते हैं जिससे उनके परिवार के लोगों की साँसें चल सके ।बड़े और मनसुख सपने इनके नहीं होते ।सही मायने में इनकी जिंदगी कठोर संघर्ष के बुते जिंदगी से संघर्ष करती है ।
संघर्ष में सफलता और विफलता दोनों है ।अब आप एक रिक्शा चालक और ठेले चालक से लेकर दिहाड़ी के मजदूर के संघर्ष को देखें ।ये अपने संघर्ष का सीमित परिणाम चाहते हैं जिससे उनके परिवार के लोगों की साँसें चल सके ।बड़े और मनसुख सपने इनके नहीं होते ।सही मायने में इनकी जिंदगी कठोर संघर्ष के बुते जिंदगी से संघर्ष करती है ।
एक बात और जानने की जरुरत है की बहुत ऐसे परिवार हैं जहाँ अपार संपत्ति है लेकिन वहाँ कलह और क्लेश का साम्राज्य है ।ऐसा क्यों ?इसे भी समझिये ""जहां सुमति वहाँ संपत्ति नाना ,जहां कुमति वहाँ विपत्ति नाना""।आपस की समझ में कमी,हीन भावना से ग्रसित रहना,अपने को सबसे अधिक होशियार समझना,झूठ पर पर्दा डालना,गलतियों को स्वीकार नहीं करना,जैसे दुर्गुण रहने की वजह से संपत्ति का सही उपयोग नहीं होता और वहाँ अजीब किस्म का संघर्ष मेहमान की तरह बना रहता है ।इस संघर्ष से उस घर के व्यक्ति से लेकर किसी अन्य को स्वस्थ लाभ मिलने की कतई गुंजाईश नहीं होती है ।
लेकिन इसके बीच में एक ऐसा संघर्ष है जिसमें दुनिया को खुशियों से तर करने का जलजला और जीवन का फलसफा है ।औरों का जीवन उत्सव और महोत्सव में कैसे काबिज रहे इसके लिए उनके जीवन के हर क्षण क्रियाशील रहते हैं ।ऐसे लोग हैं इस जगत में जो पर हितार्थ संघर्ष को न्योता देते हैं । आत्म मंथन,आत्म चिंतन से अपने मूल यानि भीतर को पहले नैसर्गिक रूप से निर्मल करना पड़ता है फिर बाहर स्पंदन देकर इतिहास गढ़ने की बुनियाद डाली जाती है ।
इस आलेख का मकसद है जीवन में संघर्ष का सही औचित्य ?संघर्ष के बिना जीवन अधूरा है ।बिना संघर्ष के जीवन में महान चीजों का संग्रहण और फिर उसका निस्सरण मुश्किल है ।संघर्ष के दौरान व्यापक प्रतिफल वाले परिणाम को लक्ष्य बनाइये ।संघर्ष के बिना जीवन हो ही नहीं सकता है ।आखिर में हम यही कहेंगे की अपने संघर्ष के जरिये कोई जीवन को "आनंद" मानता है,तो कोई इसे "महोत्सव" समझता है ।कोई इसे "निर्झर "तो कोई इसे उन्नत कर्मो की प्रयोगशाला ।और कोई इसे अनवरत सिर्फ "संघर्ष "ही समझता रहता है ।
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