अगस्त 02, 2016

डॉ० ब्रजेश की गाड़ी पर गोली चली या नहीं, सहरसा पुलिस से ज्यादा गंभीर हैं मीडियाकर्मी..

मीडियाकर्मी भी अनुसंधान में हैं जुटे हुए..
कहीं डॉक्टर ब्रजेश हथियार के लायसेंस लेने की गरज से तो साजिश नहीं कर रहे.....

कई मामलों में खामोश रहने वाले ये मीडियाकर्मी,  
ना जाने क्या तलाशने निकले हैं और फिर किस मकसद से.

मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---- बीते 26 जुलाई की रात में सदर थाना से महज सौ मीटर दूर महिला कॉलेज के समीप डॉक्टर ब्रजेश कुमार सिंह की गाड़ी पर गोली चली । हांलांकि डॉक्टर ब्रजेश ने पुलिस को दिए आवेदन में यह बताया है की घटना के समय जब आवाज हुयी थी, तो उन्हें लगा था की गाड़ी की टायर फटी है लेकिन ड्राईवर द्वारा सामने छेद देखने और अन्य मित्रों के द्वारा समझाने पर डॉक्टर ब्रजेश को लगा की गोली ही चली है । 
चूँकि अब मामला थाना में दर्ज है और पुलिस अनुसंधान में जुटी हुयी है ।साथ ही,पटना से FSL की टीम भी आकर जांच में जुट चुकी है ।ऐसे में आमलोगों के बीच यह हवा बननी की डॉक्टर ब्रजेश सोची समझी चाल के तहत यह खेल खेल रहे हैं, हमारी समझ से जायज नहीं है । मीडियाकर्मियों को धैर्य रखना चाहिए की आखिर पुलिस की जांच में क्या कुछ निकलकर आता है ? वैसे कुछ समझदार लोग और पुलिस अधिकारी भी कह रहे हैं की घटनास्थल पर कई फुटकर दुकानदार हैं जिन्होनें घटना के समय किसी भी तरह की आवाज सुनने की तकसीद नहीं की है ।

यह जांच में पुलिस के लिए एक अहम् हथियार साबित हो सकता है, हमें इससे कोई गुरेज नहीं है ।लेकिन दिनदहाड़े शहर और आसपास के कई इलाके में ह्त्या जैसी वारदात हुयी है । क्या उन मामलों में पुलिस को आजतक कोई चश्मदीद गवाह मिला है, जिसने यह जानकारी दी हो की घटना घटी है और उसने अपनी आँखों के सामने घटना होते देखा है । जहां तक हमारी समझ जाती है,आजतक कोई भी शख्स पुलिसिया मामले में अपनी गर्दन फंसाना नहीं चाहता है । वैसे सुस्ती और बिना मजबूत सूचना तंत्र के हवा में तीर चलाने वाली और मौके की नजाकत को देखकर अपनी जांच आगे बढ़ाने वाली सहरसा पुलिस कब कौन सा गुल खिला दे कहना नामुमकिन है ।

क्या डॉक्टर ब्रजेश की गाड़ी पर गोली नहीं चली ?

देखिये अब यह मसला पुलिस के वैज्ञानिक अनुसंधान तक पहुँच चुका है ।वैसे सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह ऐसे मामले में रपट तक नहीं लिखते हैं और अपने मुंह से मामले का पटाक्षेप कर डालते हैं ।सहरसा के पुलिस कप्तान अश्वनी कुमार कहीं से भी पुलिस कप्तान नजर नहीं आते हैं । कहते हैं की पुलिस का आधा काम उनकी शारीरिक भाषा से ही होता है लेकिन एसपी साहब की सेहत आमलोगों से बिल्कुल हटके है । मसला यह है की कयासों का बाजार गर्म है की डॉक्टर ब्रजेश ने हथियार के लायसेंस लेने और गार्ड की सुविधा लेने के लिए मनगढ़ंत तमाशा खड़ा किया है ।

अब इस मसले का पुलिस वाले से ज्यादा कुछ मीडियाकर्मी अनुसंधान कर रहे हैं । हम मीडियाकर्मी को कतई कोई सलाह देना नहीं चाहते, वह इसलिए की मीडिया में अब ऐसे--ऐसे लोग आ रहे हैं जिन्हें किसी तरह का रोजगार नहीं मिला । अब वे इस पाक धंधे में आकर जादू दिखाने की जुगत कर रहे हैं । डॉक्टर ब्रजेश से मैंने भी बात की और उनसे सच जानना चाहा । उन्होनें साफ़ लहजे में कहा की घटना के समय वे मामले की कोई गंभीरता नहीं समझ पाये थे । बाद में मित्रों और घरवाले की सलाह पर वे पुलिस के पास गए । हांलांकि पहली बार पुलिस अधिकारी ने उन्हें बेहद हल्के में लिया और मामले को बेहद हल्का साबित करने की कोशिश की ।डॉक्टर ब्रजेश ने आगे यह भी जानकारी दी की You have 2 missed call(s) from +919060773449. last call: 27-07-2016 06:35. You have 3 missed call(s) from +919060773449. last call: 28-07-2016 07:35.
ये मिस्ड कॉल वाला वही नम्बर है जिससे डॉक्टर ब्रजेश से कुछ माह पूर्व 25 लाख की रंगदारी मांगी गयी थी ।डॉक्टर ब्रजेश ने इस बाबत भी पुलिस अधिकारी को लिखित जानकारी दे दी है ।
हमारी समझ से किसी भी मामले को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए । डॉक्टर्स अपराधियों के सॉफ्ट टारगेट होते हैं ।वैसे बहुतों डॉक्टर्स ऐसे भी हैं जो यमराज की भूमिका में हैं ।पुलिस जांच जारी है ।ऐसे में हमें थोड़ा इन्तजार करना चाहिए की जांच का क्या फलाफल निकलता है ।वैसे डॉक्टर ब्रजेश जिस परिवार से आते हैं और उनका पैतृक गाँव भी करीब में ही है,ऐसे में हथियार का लायसेंस लेना उनकी महती जरुरत कहीं से भी नहीं लगती है ।आखिर में हम यही कहेंगे की इस मामले का पटाक्षेप अतिशीघ्र होगा,तबतक हमें थोड़ा इन्तजार करना चाहिए ।

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