जुलाई 28, 2016

वर्चस्व काबिज करने को लेकर फ़िल्मी स्टाईल में कर रहे हैं दादागिरी


एक युवक जख्मी.......

पढ़ने की जगह हथियार उठा रहे हैं युवक......
क्या कर रही है पुलिस और क्या कर रहे हैं अभिभावक........
मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट ------ सदर थाना के कबीर चौक पर आज वर्चस्व काबिज करने की गरज से चाकूबाजी की घटना घटी जिसमें शिवम् सिंह नाम का एक युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गया । चाक़ू शिवम् के सर में लगी है ।मिली जानकारी के मुताबिक़ गोलू सिंह नाम के एक युवक ने अपने दर्जन भर से ज्यादा सहयोगियों के साथ मिलकर शिवम् को तो पहले कबीर चौक पर दबोचा और फिर उसकी पिटाई शुरू कर दी । लेकिन उससे भी जी नहीं भरा तो, गोलू ने शिवम् के सर पर चाक़ू से कई वार करके उसे गंभीर रूप से जख्मी कर दिया । आधे घंटे से ज्यादा फ़िल्मी स्टाईल में मारपीट का यह खेल चला लेकिन बीच--बचाव करने मुहल्ला का कोई शख्स सामने नहीं आया।
बताते चलें की गोलू कबीर चौक के बगल के मोहल्ले गौतम नगर का रहने वाला है और आये दिन दादागिरी के नए--नए पैंतरे आजमाता रहता है। इलाके में उसका दबदबा कायम रहे और उसकी उम्र के लड़के उसका हुक्म बजाएं, यह उसकी ख्वाहिश रहती है । इससे पहले भी उसने मारपीट की कुछ और घटनाओं को अंजाम दिया है । गोलू के पिता सुनील कुमार सिंह पेशे से अधिवक्ता हैं और समाज में उनकी खासी ईज्जत है । जख्मी युवक कबीर चौक के आसपास का ही रहने वाला है, उसके पिता का नाम उमेश सिंह बताया जा रहा है । अभी सदर अस्पताल में जख्मी युवक भर्ती है, जहां उसकी स्थिति खतरे से बाहर है। इस घटना से दो सवाल उठ रहे हैं। पहला सवाल यह की क्या कर रही है पुलिस ? आखिर पुलिस की गस्त क्यों नहीं होती है ? बड़े वाहन और पैदल गस्त के साथ--साथ मोटर साईकिल से लगातार हर मोहल्ले में पुलिस गस्त लगा रही है, यह दावा करते पुलिस के बड़े अधिकारी अघाते नहीं ।लेकिन आधा घंटा से लेकर एक घंटे तक फ़िल्मी अंदाज में घटना घटती है लेकिन कहीं भी पुलिस नजर नहीं आती है । 
सच यह है की पुलिस की गस्त ज्यादातर हफ्ता वसूली के लिए होती है । ऐसे में घटनाओं पर लगाम लगाना बेहद मुश्किल और टेढ़ी खीर है ।दूसरा सवाल यह की आखिर युवा पौध को क्यों घुन्न लग रहा है ।पढ़--लिखकर घर--परिवार के साथ--साथ देश--समाज का नाम रौशन करने की जगह युवा आखिर क्यों अपराध की ओर उन्मुख हो रहे हैं ।पुलिस के अलावे अभिभावक और सामाजिक जानकारों को भी अब इस गंभीर मसले पर पुरजोर दखल देने की जरुरत है ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।