जुलाई 30, 2016

शराबियों को नीतीश कुमार का तोहफा, ताड़ी की आड़ में जमकर करें ‘नशापान’


नशेड़ियों की मस्ती को लगा सरकारी तड़का.........
नशेड़ियों के दिन फिर से बहुरे............
मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट ---
नशा करने वाले बिहारी भाई अब जमकर नशा कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें नेपाल, झारखण्ड, या फिर उत्तरप्रदेश या बंगाल जाने की जरुरत नहीं है ।यही नहीं, इसके लिए ना तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और ना ही उन्हें उम्रकैद की सजा ही भुगतनी होगी ।
जी हां ! बिहार सरकार ने शराब से ना सही लेकिन ताड़ी से पूर्ण प्रतिबंध हटा लिया है । नीतीश सरकार ने इस मामले पर एक झटके में यूटर्न ले लिया है । अपने नए शराबबंदी कानून में ताड़ी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाली नीतीश सरकार ने शनिवार को कहा की प्रदेश में ताड़ी बेचना और पीना दोनों फ्री रहेगा । इस बात की वैधानिक पुष्टि उत्पाद मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने भी की है ।
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बताते चलें कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और एलजेपी नेता रामविलास पासवान सहित अन्य कई नेता राज्य में ताड़ी प्रतिबंध का विरोध कर रहे थे । लालू प्रसाद यादव पहले ही कह चुके थे कि ताड़ी पर प्रतिबंध नहीं लगेगा,जबकि नीतीश कुमार ने अपने नए कानून में ताड़ी को देशी शराब करार दिया था ।ऐसे में ताड़ी पीना ही नहीं बल्कि पेड़ से ताड़ी निकालना और पेड़ में छेद करना तक अपराध हो गया था ।इसके लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा मुकर्रर की गई थी ।
हमारे पाठकों को याद होगा की लालू के शासनकाल में ताड़ी को टैक्स फ्री कर दिया गया था । उस समय से हालिया दिनों तक ताड़ी की दुकाने सार्वजनिक जगहों पर भी सजती थीं।
स्कूल--कॉलेज और मंदिर--मस्जिद की दीवारें भी ताड़ी की बिक्री रोकने की कूबत नहीं रखते थे । लालू सामाजिक न्याय के नाम पर वोट बटोरन जादूगर रहे हैं ।बिहार के गरीबों का नब्ज अगर सही तरीके से किसी राजनेता ने पकड़ा है तो वह लालू यादव हैं ।कुछ बरस उनके राजनीतिक जीवन के अवसान का जरूर रहा लेकिन फिर से राजनीति में उनकी ऐसी धमाकेदार वापसी हुयी की वे परिवार के कई सदस्यों को राजनीतिक स्थायी नौकरी दे गए ।महागठबंधन की सरकार सही मायने में अपरोक्ष रूप से लालू प्रसाद ही चला रहे हैं ।इसमें कोई शक नहीं की की जाति और धर्म की राजनीति से घिरे इस प्रदेश का बड़ा दुर्भाग्य है की तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव सहित कई ऐसे मंत्री इस राज्य को चला रहे हैं,जिन्हें वर्षों ज्ञानवर्धन और राजनीति सीखने की जरुरत है ।
खैर आज हमारा विषय ताड़ी है,इसलिए विषय पर लौटते हैं। 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुयी । लेकिन हमारे बताने की शायद जरुरत नहीं है की बिहार में पूर्ण शराबबंदी नहीं है ।हमारे पाठक यह भली--भाँति जान रहे हैं की अफसरान,कारोबारी, खादीधारी और बिचौलिए के दम से छुपकर शराब की बिक्री हो रही है ।हमारे पाठक,अधिकारी,राजनेता और हमारे पत्रकार बंधू भी छुप--छुपाकर मदिरापान कर रहे हैं ।ऊँची कीमत पर शराब की होम डिलेवरी भी होती है । सबसे अधिक परेशानी माध्यम वर्ग के लोगों के साथ--साथ गरीबों को हो रही है ।बेचारे इसी वर्ग के लोग नशे की लत में जेल भी जा रहे हैं ।हमारी समझ से पूर्ण शराबबंदी का सबसे ख़ास फायदा यह हुआ है की अब टोली में शराबी किसी गली,नुक्कड़,मोड़ या पगडण्डी पर बबाल काटते नहीं मिलते ।राह चलते अब अगर कोई शराबी मिलता है,तो आमलोग समझते हैं की कोई जादू दिखा रहा है ।
अब ताड़ी फ्री तो क्या होगा साहेब ?
अब ताड़ी की दुकानें फिर से सजेंगी और ताड़ी की आड़ में धड़ल्ले से लोग शराब का भी मजा लेंगे । पुलिस वाले का हफ्ता बंधेगा और शराबियों के फिर पौ बारह होंगे ।यानि नशेड़ियों के नहीं कहिये जनाब,अब शराबियों के दिन बहुरने के पूरी तरह से सरकारी आदेश हो गए हैं ।आने वाले दिनों में देखियेगा की ताड़ी के धंधे में आपको कई रसूखदार नजर आएंगे ।जय बोलो सरकार की और जय बोलो ताड़ी की ।

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