मो०अजहर उद्दीन की रिपोर्ट : आज एक बार फिर सहरसा टाईम्स आप लोगो को एक ऐसी तस्वीर से रूबरू करा रही है जिससे आपके सामने दो सवाल खड़ा होगे पहली शिक्षा और दूसरी सफाई. आप लोगो को जिस तस्वीर से रौशनास कराया जा रहा है ये तस्वीर किसी गाँव या गली कि नहीं है. बल्कि सहरसा शहर के अति व्यस्तम महावीर चौक के पास रुपवती कन्या उच्च विधालय के मुख्य द्वार की है जहाँ कूड़ो का अम्बार इस तरह पसरा है की अच्छी संख्या में जानवर खूब धमा-चौकड़ी मचाते है.
नगर परिषद् की कार्य व्य्वस्था को लगातार सहरसा टाइम्स अपने पाठको के सामने रखने की कोशिश है. जिसमे अब-तक शहर को मुकम्मल तौर पर साफ़ रखने में नगर परिषद् ने अपनी भूमिका किस तरह दर्ज करवाई है ये आप सभी अच्छी तरह से जानते है. फिलवक्त पिछले दिनों से नगर परिषद् के कर्मचारी हड़ताल पर है.
लेकिन शहर की ऐसी तस्वीर कोई नई बात नहीं है. इस शहर और यहाँ के नौकरशाहो के लिए ये कचरा कोई समस्या नहीं है.
लेकिन एक बड़ा सवाल है कि ये कचड़ा जिस तरह से आज स्कूल का मुख्य द्वार पर पसरा हुआ है और अन्दर जाने का रास्ता अवरुद्ध है उससे बच्चें पढाई कैसे करेंगे, और बेहतर शिक्षा पाने की उम्मीद कैसे करेंगे. यहाँ बच्चें बड़े उम्मीद से आते है की भविष्य उनका सवंरेगा लेकिन इंतेहा का आलम ये है की विधायलय के मुख्य द्वार से केवल प्रवेश करना ही कितने बड़े बिमारियों को आमंत्रण देने के बराबर है. आखिर कब इस स्कूल की दशा सुधरेगी एक बड़ा सवाल है.
नगर परिषद् की कार्य व्य्वस्था को लगातार सहरसा टाइम्स अपने पाठको के सामने रखने की कोशिश है. जिसमे अब-तक शहर को मुकम्मल तौर पर साफ़ रखने में नगर परिषद् ने अपनी भूमिका किस तरह दर्ज करवाई है ये आप सभी अच्छी तरह से जानते है. फिलवक्त पिछले दिनों से नगर परिषद् के कर्मचारी हड़ताल पर है.
लेकिन शहर की ऐसी तस्वीर कोई नई बात नहीं है. इस शहर और यहाँ के नौकरशाहो के लिए ये कचरा कोई समस्या नहीं है.
लेकिन एक बड़ा सवाल है कि ये कचड़ा जिस तरह से आज स्कूल का मुख्य द्वार पर पसरा हुआ है और अन्दर जाने का रास्ता अवरुद्ध है उससे बच्चें पढाई कैसे करेंगे, और बेहतर शिक्षा पाने की उम्मीद कैसे करेंगे. यहाँ बच्चें बड़े उम्मीद से आते है की भविष्य उनका सवंरेगा लेकिन इंतेहा का आलम ये है की विधायलय के मुख्य द्वार से केवल प्रवेश करना ही कितने बड़े बिमारियों को आमंत्रण देने के बराबर है. आखिर कब इस स्कूल की दशा सुधरेगी एक बड़ा सवाल है.
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