अक्तूबर 16, 2015

चौदह वर्ष के बाद गीता की घर वापसी.......


मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट:- कहते हैं की ऊपर वाले के यहां देर है लेकिन अंधेर नहीं. आखिर वही हुआ जो रब को मंजूर था.करीब चौदह वर्षों से ना केवल अपने परिजनों से दूर बल्कि अपने देश से भी दूर रही गीता की अब घर वापसी हो रही है.गीता अभी पाकिस्तान में है,उसने अपने परिवार को तस्वीर के जरिये पहचान लिया है.गीता सहरसा जिले के पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर कबीरा धाप गाँव की रहने वाली है.उम्मीद जताई जा रही है की गीता को पंद्रह दिनों के भीतर भारत लाया जाएगा.भारत लाये जाने के बाद गीता के DNA की पहले जांच होगी फिर उसे,उसके परिवार के हवाले किया जाएगा.गीता के परिजन के साथ-- साथ उसके गाँव के लोग भी उसके घर वापसी को लेकर बेहद खुश हैं. जाहिर तौर पर मौक़ा खास और इतराने वाला है.   

पिछले दो महीने से भारत और पाकिस्तान के बीच पारस्परिक संबधों की मजबूत कड़ी बनी गीता के घर और परिवार का पता चलने के बाद सहरसा की रंगत ही बदल गयी है.दरअसल यह वही गीता है जिसे अपनी बेटी हीरा होने का दावा कोसी नदी के अंदर बसे  एक गाँव कबीरा धाप के जनार्दन महतो ने किया था.अब जब भारत सरकार ने गीता को पाकिस्तान से वापस भारत लाने की कवायद शुरू कर दी है और उसे बिहार के सहरसा की बेटी भी घोषित कर दिया है तो गीता के टूटे--फूटे महज संज्ञा भर के घर में  भी जश्न का माहौल है.गाँव में  सभी लोग बहुत खुश है और गीता के गाँव आने पर खास तरह से जश्न मनाने और गाँव में मिटाई बांटने की बात कर रहे हैं.कुछ लोग पत्रकार के साथ---साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तारीफ़ में कसीदे भी कढ रहे हैं. 

कोसी तटबंध के अंदर बसे कबीराधाप गाँव में हर कोई बहुत खुश है.भला खुश हो भी क्यों नहीं.14 साल पूर्व अपने माँ--बाप से बिछुड़ी बेटी हीरा का पता जो चल गया है और उसे घर लाने की तैयारी भी जो चल रही है.गीता के नाम से जानी जा रही हीरा के पिता जनार्दन महतो को दो महीने पूर्व जब टेलीविजन पर पाकिस्तान में फसी गीता की कहानी दिखाई गयी तो गाँव के लोगों ने उन्हें इस बात की जानकारी दी.जनार्दन जब अपनी आँखों से पाकिस्तान में रह रही गीता की तस्वीर देखी तो झट से उसे पहचान लिया और अपनी बेटी हीरा होने का दावा कर दिया.उसके बाद बेटी को वापस पाने के लिए जनार्दन महतो ने विदेश मंत्रालय तक की दौड़ लगायी. अब परिणाम सामने है तो जनार्दन महतो काफी उत्साहित है.   
कहते हैं की वर्षों बाद बेटी मिलने की उन्हें खुशी है. वे काफी गरीब हैं और बेटी को पाने के लिए उन्होनें अपना सब कुछ गवां दिया है.कहते हैं की इसबार होली और दिवाली गीता के घर आने पर वे एक साथ मनाएंगे.डीएनए को लेकर वे कहते हैं की उनके और गीता के खून की जांच होगी तो जांच में सिर्फ यही निकलेगा की गीता उनकी बेटी है.गीता की पूरी कहानी को वे तफ़सील से बताते हैं और कहते हैं की वे सपरिवार लुधियाना में रहते हैं.गीता जब गर्भवती थी तो उसे लेकर गाँव से वे लुधियाना गए जहां से उनके दामाद उसकी विदाई कराके उसे जालंधर के बलियापीठ गाँव ले गए जहां से गीता वैसाखी पर्व के मौके  पर गुम हो गयी. अपने दम से उन्होनें उसे ढूंढने का भरपूर प्रयास किया  लेकिन वह नहीं  मिली. 
कोसी की बेटी गीता 
गीता  को एक बेटा भी है जो अभी अपनी नानी के साथ लुधियाना में है. 
गीता के पति ने पत्नी के साथ -साथ बेटे का भी त्याग कर दिया है. ऐसे में हमारे इस सवाल का की क्या वे आगे गीता की शादी करेंगे को लेकर उन्होनें कहा की वे चाहेंगे की वह अपने बेटे के साथ रहे,वैसे उसकी जो मर्जी होगी,वे वही करेंगे.हालांकि जनार्दन महतो को अभीतक सरकार की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली है की गीता उनकी ही बेटी है लेकिन टेलीविजन और अखबारों के माध्यम से उन्हें यह जानकारी मिल गयी है की सरकार ने गीता पर उनके दावे को सही मान लिया है.जनार्दन महतो सुषमा स्वराज के साथ--साथ नरेंद्र मोदी को  भी लाख-- लाख  धन्यवाद दे रहे हैं.  
गीता का भाई बलराम महतो भी बेहद खुश है और कह रहा है की उसे अपनी बहन की बेहद याद आती थी,खास कर के रक्षा बंधन के मौके पर.उसकी बहन जैसे ही यहां आएगी,वह उससे फ़ौरन राखी बंधवाकर पहले रक्षा बंधन मनाएगा.
पिछले चौदह साल से अपने घर से दूर रही गीता जब अपने गाँव जायेगी तो आखिर कैसे? कोसी नदी के पेट में बसे उसके गाँव तक पहुँचने का एक मात्र साधन नाव है.गरीबी, बेबसी,लाचारी और मुफलिसी में रहबसर कर रहे जनार्दन महतो आखिर किस बुते गीता की तक़दीर संवारेंगे. गीता स्वदेश लौटकर,वहाँ जायेगी जहां सीलन,चुभन और सिसकियाँ कुलाचें भर रही हैं.
ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़ कर देता है.आगे अंतर्राष्ट्रीय संधि के तहत सारी प्रक्रिया के बाद जब गीता भारत पहुंचेगी,तो पहले देश उसे सर आँखों पर लेगा.और फिर डीएनए के बाद जब वह अपने परिजनों से मिलेगी,तो आप खुद से अंदाजा लगाईये की वह मंजर कितना खुशनुमा और दिल को सिद्दत से सुकून देने वाला होगा.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।