फ़रवरी 03, 2015

जिले में खाद बीज की हो रही है कालाबाजारी

कृष्णमोहन सोनी की रिपोर्ट :-  केंद्र सरकार की किसान और जन विरोधी नीति, जिले में खाद बीज की हो रही कालाबाजारी और खाद बीज की निर्धारित मूल्यों से अधिक रुपये की दर पर बेचे जाने के विरुद्ध में जिला कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सैकड़ों किसानों, मजदूरों के साथ सड़क जाम आंदोलन कर विरोध जताया.
जिले के सत्तरकटैया प्रखंड क्षेत्र के बिहरा बाजार स्थित कांग्रेस पार्टी की जिला इकाई द्धारा पार्टी  बिहरा बाजार में सड़क जाम आंदोलन कार्यक्रम आयोजित किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओंने बीच सड़क को जाम कर केंद्र सरकार की किसान और जनविरोधी नीति के विरुद्ध जमकर नारेबाजी भी की और सहरसा- सुपौल मार्ग की आबाजाही को घंटों अवरुद्ध किया. आंदोलनकारियों ने कहा है कि वर्तमान केंद्र की  सरकार किसानो के साथ घोर जुल्म कर रही है. कृषि के लिए किसानों के बीच खाद का घोर किल्ल्त हो रहा है वहीं यूरिया खाद का निर्धारित मुल्य 290 रुपये प्रति 50 किलो बोरी की जगह किसानों से खाद बिक्रेताओं द्धारा  खुले तौर पर 400 रुपये लिया जा रहा है. नेताओं ने कहा कि सत्तरकटैया प्रखंड अधिकतर पंचायतों में डीजल अनुदान एवं वर्ष 2013 में आये फेलिन आपदा का अनुदान से लगभग 25 से 30 प्रतिशत किसान जो आवेदन दे चुके है उन्हें भुगतान नही हुआ है. बिहरा ग्राम पंचायत में खाद सुरक्षा योजना के अंतर्गत गरीबों को जन बितरण के दुकानों से मिलने वाली खाद्य सामग्री से सैकड़ों कार्डधारी  लाभुक वंचित है.बिचौलियों द्धारा पूर्व से ही 9 सौ से 11 सौ रुपये प्रति किवंटल के हिसाब से 80 प्रतिशत किसानों के धन खरीद कर जगह- जगह भंडारण कर लिया गया है जो एक जांच का विषय है. इन क्षेत्रों में सही सही जाँच किया जाय  तो केंद्र सरकार की पोल खुलकर सामने जनता के बीच आयेगा।  समय रहते किसानों,मजदूरों की इन समस्याओं का समाधान नही किया गया तो मजबूर होकर सरकार के विरुद्ध जनांदोलन किया जायेगा. आंदोलनकारियों में मुख्य रूप से रामसागर पाण्डेय, धीरेन्द्र नारायण शर्मा, विधानंद मिश्र, नवीन कुमार महाकांत राय, अरविंद सिंह, विकास देव, किशन साह, ललन प्रसाद सिंह, नवीन मिश्र, भरत झा, कुंदन मुखिया, अशोक सिंह सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.  

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।