मई 24, 2012

कैदियों का हंगामा

24.05-2012: आज सहरसा व्यवहार न्यायालय के हाजत में सहरसा जेल से पेशी के लिए लाये गए करीब 40 बंदियों ने ना केवल जमकर बबाल काटे बल्कि कोर्ट पेशी प़र जाने से भी इनकार कर दिया.कैदियों का गुस्सा इस कदर फूटा था की वे वापिस जेल जाने से भी इनकार कर रहे थे लेकिन काफी मान--मनौव्वल के बाद उनका गुस्सा शांत कर उन्हें बिना अदालत में पेश किये ही वापिस जेल ले जाया गया.हंगामा कर रहे कैदियों का आरोप है की हाजत प्रभारी उनके साथ अमानवीय वर्ताव करते हैं.उन्हें गाली--गलौज देकर बुरी तरह से मारने की वे ना केवल धमकी देते हैं बल्कि झूठे मुकदमें में फंसाने का फरमान भी सुनाते हैं.बंदियों की मानें तो हाजत प्रभारी बंदियों के द्वारा पीने का पानी मांगने,कुछ खाने के लिए मांगने या फिर हाजत के अन्दर की गंदगी की सफाई कराने की बात करने पर आपे से बाहर होकर ऐसी ओछी हरकत करते हैं.हांलांकि कोर्ट हाजत प्रभारी इन तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए बंदियों पर ही कई अन्य गंभीर आरोप लगा रहे हैं. बंदी भी आमलोगों की तरह होते हैं.जेल उन्हें सुधारने के लिए भेजा जाता है.मानवीय अधिकार के दायरे में उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं मिलनी ही चाहिए.ऐसे मामले में पुलिस--प्रशासन से लेकर कोर्ट के वरीय अधिकारियों को सीधा हस्तक्षेप करना चाहिए जिससे ऐसी घटना की फिर से पुनरावृति ना हो.

1 टिप्पणी:

  1. jel ka har kaidi Apradhi hi ho yah zaroori nahi hai, aur yadi ho bhi to kya uske saath Amanviya vyavhar kia jayega? Katayi nahi. SAHARSA TIMES ke dwara in muddon ko prakash me lane ki jitni bhi prashansa ki jaay kam hai. Fir Police wale apni aadat se Baaz kiyun nahi aate. Sthiti badal raha hai, Bihar badal raha hai, par Vahi Pulisia ravayiya vahi ruaab... Samay rahte Sudhar jaayen ye anytha parinam gambheer honge.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।