एक मजबूर संविदा कर्मी द्वारा भेजा गया खबर.… संविदा पर काम करे कंप्यूटर
ऑपरेटर को सरकारी नौकरी तो नहीं लेकिन सरकारी लाठी नसीब हुआ. पटना कि घटना
से सभी संविदा पर काम कर रहे डाटाइंट्री ऑपरेटर अपने भविष्य को लेकर काफी
चिंतित है. दुःख की बात है कि बेल्ट्रॉन के 25 डाटाइंट्री ऑपेरटरों को
नौकरी से निकाल दिया गया. जिन अन्य ऑपरेटरों ने सरकार के इस फैसले के
खिलाफ आवाज़ उठाई, उन्हें मारा गया, पीटा गया, उन पर अपराधिक मुक़दमे दर्ज
किये गए, और उन्हें जेल में ठूंस दिया गया. सवाल यह है कि एक तरफ किसी
विभाग में कई वर्षो से कार्यरत ओपरेटर को भारी संख्या में निकाला जाता है
और दूसरी तरफ पैनल बनाकर सरकारी महकमा डाटाइंट्री ऑपरेटर को रिज़र्व रखता
है. ऐसी बर्बरता तो शायद लाभ घाटे के गणित पर चलने वाली कोई निजी कम्पनी भी
न करता है.
कंप्यूटर ऑपेरटरों ने अपने भविष्य को सुरक्षित करने की
सरकार से गुज़ारिश की, बात नहीं बनी तो न्यायालय के शरण में गए. सरकार
इन्हें राहत देने के बजाय इनके हिम्मत को तोड़ने के लिए, इनका फन कुचलने के
तरीके अपनाये। पांच-छह साल काम करने के बाद अब फिर से पढाई करना, प्रतियोगी
परीक्षाओं की तैयारी करना- क्या ये व्यावहारिक है? इसी कई जगहों पर कार्य
कर रहे आई टी असिस्टेंट्स को अचानक हटा दिया गया, क्योंकि सरकार के पास अब
उनके लिए काम नहीं है. अब सरकार के पास काम नहीं है.
नितीश बाबू सूबे
का सभी कार्यालय संविदा कर्मियों के बदोलत चल रहा है. ८० प्रतिशत कार्यालय
संविदा कर्मी से चलता है यदि इनके साथ आपका यह वर्ताव रहा तो एक और
क्रांति होगा जिसे आप सहन नहीं कर पाएंगे।
दोस्तों सभी कंप्यूटर ऑपरेटर से अपील है सब एक होकर यदि नहीं रहेंगे तो इसका बहुत बुरा परिणाम होना वाला है जिसका प्रभाव सिर्फ हमें नहीं बल्कि हमारे पारिवारिक जीवन पर भी असर पड़ेगा. कई दोस्तों के दिल में बेलट्रॉन और एक्सक्यूटिव असिस्टंट को लेकर अंतर बना रहता है. भाई ये सब सरकारी कूट नीति है जिसके कारण हम एक दूसरे को नीचे दिखाने कि कोशिश करते है और इसका मजा नियमित कर्मी लेता रहता है. अरे भाई सब तो आखिर ओपरेटर है है न. दोस्तों अब समय आपस में एक दूसरे को नीचे दिखाने का नहीं है एक साथ होकर लड़ने का है आओ एक साथ लड़े. नहीं तो उम्र के साथ अपनी लाइफ़ भी बल्ले बल्ले।।।।।।।।।।।।।।।।।।।