जून 09, 2013

इस अस्पताल में इंट्रा कैट नहीं है साहेब

बदइन्तजामी और लापरवाही की एक और बदरंग दास्ताँ
मुकेश कुमार सिंह की कलम से------- 
कोसी इलाके का PMCH कहा जानेवाला सदर अस्पताल इनदिनों गंभीर तरीके से बीमार है।आप यह जानकार हैरान-परेशान हो जायेंगे की जिस अस्पताल से पचास लाख से ज्यादा लोगों की उम्मीद और आस बंधी हो वहाँ इंतजाम और व्यवस्था के नाम पर महज हवा--हवाई हो तो उसे फिर क्या नाम दिया जाए।बदइन्तजामी और लापरवाही की एक और बदरंग दास्ताँ के साथ आज एक बार फिर सहरसा टाईम्स एक्सक्लूसिव खुलासा करने जा रहा है। इस अस्पताल में मरीजों को स्लाईन चढाने के लिए बीते कई महीनों से इंट्रा कैट नहीं है।गरीब और लाचार लोग मंहगे दाम चुकाकर इंट्रा कैट खरीदने को विवश हैं।जाहिर सी बात है की जिस अस्पताल में बिना मर्ज पता किये सिर्फ स्लाईन चढाने का खेल चल रहा हो वहाँ अगर महत्वपूर्ण उपस्कर ना हो तो फिर ये स्लाईन भी कैसे चढ़ेगा।उधर सियासी हाकिम यात्रा और रैली में मशगूल होकर अपनी हैसियत को मजबूत करने में जुटे हैं और इधर गरीब और मजबूर लोग महज आह और टीस के साथ सिसकियाँ भर रहे हैं।
कोसी इलाके के PMCH कहे जाने वाले  सदर अस्पताल की नाना कमियों से भरी बदरंग तस्वीरों और खबरों को हम लगातार इस उम्मीद से दिखाते और लिखते रहे हैं की हमारी पुरजोर कोशिश से इस अस्पताल के दिन बहुरेंगे और गरीब--गुरबे मरीजों का भला और कल्याण हो सकेगा।लेकिन सच मानिए हम अभीतक अपनी भगीरथ कोशिशों में आजतक कामयाब नहीं हो सके हैं।हमारी जानकारी के मुताबिक़ पिछले तीन महीने से इस अस्पताल में इंट्रा कैट नहीं है।गरीब मरीजों के परिजन अपनी मामूली कमाई में से 80 रूपये से लेकर 125 रूपये तक में बाजार और अस्पताल में सक्रिय दलालों के माध्यम से इंट्रा कैट खरीदने को विवश हैं।
अस्पताल का आपातकालीन कक्ष की बात करें या फिर विभिन्य वार्डों के भर्ती मरीजों की।जिन मरीजों को स्लाईन चढाने की जरुरत है उन्हें इंट्रा कैट खरीदकर स्लाईन चढ़ाए जा रहे हैं।मरीज के परिजन बताते हैं की वे बाजार से इंट्रा कैट खरीदकर लाये हैं।हमने अस्पताल में सक्रिय उन दलालों को भी ढूंढने की कोशिश की जिनके द्वारा भी इंट्रा कैट ऊँची कीमत में इस अस्पताल में बेचे जाते हैं।लेकिन इन दलालों का इस अस्पताल में इतना दबदबा है की किसी ने उसके बारे में हमें जानकारी देने के लिए अपना मुंह नहीं खोला।
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर आर.एस.राम एक से डेढ़ महीने से अस्पताल में इंट्रा कैट नहीं होने की बात स्वीकार रहे हैं।इनकी मानें तो अस्पताल के मालिक सिविल सर्जन होते हैं वे जब खरीदकर अस्पताल को इंट्रा कैट उपलब्ध करायेंगे तो मरीजों के बीच उसे दिया जाएगा।कुछ दलाल भी ऊँची कीमत में इंट्रा कैट इस अस्पताल में बेच रहे हैं के जबाब में इनका कहना है की इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।वे पता कराते हैं की कौन--कौन लोग ऐसी हरकत कर रहे हैं।ऐसे लोगों पर कारवाई होगी।
एक जगह हो तो बताएं की दर्द यहाँ होता है।यहाँ तो जिधर दबाईये उधर मवाद है।बदगुमानी का चस्मा लगाए सियासी हाकिम यात्रा और और रैली में मशगूल हैं।बेचारे गरीब और मजबूर लोग महज सिसकियाँ भर रहे हैं।यह अस्पताल बीमार है,इसका इलाज कराओ सरकार।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।