सहरसा टाइम्स कहते
हैं की आस्था के अकूत और अनगिनत रंग होते हैं।ठीक उसी का नजारा अभी सहरसा
में देखने को मिल रहा है।जिला मुख्यालय के शंकर चौक स्थित शिव मंदिर परिसर
के सूखे तालाब से दो कछुए निकले हैं जिसकी पीठ पर गुमर निकले हैं जो
बिल्कुल शिव लिंग के समान दिख रहे हैं।दोनों कछुए को शिव का अवतार मानकर
लोग ना केवल निहाल हो रहे हैं बल्कि दोनों कछुए को टब के भीतर जाली से
तोपकर शिव मंदिर में रख दिया गया है जहां उसकी पूजा--अर्चना हो रही
है।लोगों का साफ़--साफ़ कहना है की यह शिव का कच्छप अवतार है।
शंकर चौक स्थित शिव मंदिर में देखिये लोगों का
हुजूम।यहाँ आस्था का जन--सैलाब उमड़ा है।पुरे इलाके में आस्था की यह लहर
जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी है और
दूर--दराज इलाके से क्या महिला और क्या पुरुष थोक में बच्चे भी यहाँ
पहुंचकर ना केवल शिव के इस अवतार को एक नजर देखने को आतुर हैं बल्कि लोग
बड़ी आस्था और विश्वास से पूजा अर्चना भी कर रहे हैं।जाहिर तौर पर यह यह
नजारा यह जाहिर कर रहा है की लोग सिर्फ इसे शिव की महिमा भर नहीं मान रहे
हैं बल्कि लोगों की नजर में यह महादेव का कच्छप अवतार है।
लोग भक्ति--भाव और
आस्था में गोते लगाते हुए कह रहे हैं की यहाँ शिव स्वयं आये हैं,उनके
जिले की
बुराई को खत्म करने और लोगों का कल्याण करने के लिए।मंदिर परिसर में
भजन---कीर्तन और महादेव का जयकारा लग रहा है।लोग इन दोनों कछुओं की ना केवल
पूजा--अर्चना कर रहे हैं बल्कि चढ़ावा भी चढ़ा रहे हैं।बताना लाजिमी है
की इस दौरान एक और खास बात हुयी है।जिस सूखे तालाब से ये दोनों कछुए निकले
हैं उस तालाब के जीर्णोधार का काम जनसहयोग से बड़े जोर--शोर से शुरू हो गया
है।विकास गुप्ता,शिव शंकर विक्रांत,रतन
कुमार,प्रिया कुमारी स्वेता कुमारी जैसे कई श्रद्धालु इन दोनों कछुओं के गुणगान करते नहीं थक रहे हैं।
आस्था के
लहराते परचम के नीचे श्रद्धालु अपनी सुध--बुध गंवाए दिख रहे हैं।इनदोनों
कछुए को शिव का अवतार मानकर लोग पूजा में जुटे हुए हैं।अब ये शिव हैं की
नहीं यह तो हम नहीं कह सकते लेकिंन इन दोनों कछुओं के बहाने मंदिर और
तालाब दोनों के दिन बहुरने के पुख्ता इंतजाम जरुर शुरू हो गए हैं।
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