रिपोर्ट चन्दन सिंह: चोरी के आरोप में बुरी तरह से पिटाई का शिकार होकर गंभीर रूप से जख्मी हुए नाबालिग लालू प्रसाद बीते 12 जुलाई से सदर अस्पताल में भर्ती है जहां उसका इलाज किया जा रहा है.लालू अब धीरे--धीरे ठीक हो रहा है.लेकिन लालू की सुरक्षा के लिए जिस तरह के सजग और पुख्ता इंतजाम सदर अस्पताल में किये गए हैं वह कहीं से भी गले के नीचे नहीं उतर पा रहा है.एक मामूली से नाबालिग की सुरक्षा में एक ए.एस.आई,चार पुलिस जवान और दो चौकीदार लगाए गए हैं.सुरक्षा व्यवस्था को देखकर लगता है की यहाँ किसी नाबालिग का नहीं बल्कि किसी आतंकवादी या फिर किसी कद्दावर खून चटोरे अपराधी का इलाज हो रहा है.यहाँ के सुरक्षा इंतजाम पुलिस की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है.लालू की पिटाई मामले के मुख्य आरोपी जदयू निष्कासित नेता सह समृद्ध व्यवसायी चंद्रमणि भगत को पुलिस घटना के इतने दिनों बाद भी पकड़ने में कामयाब नहीं हो पायी है लेकिन लालू कहीं अस्पताल से भाग ना जाए इसके लिए पुलिस काफी चिंतित और गंभीर है.सुशासन में पुलिस के काम करने का यही तरीका है.
लालू मामले में सत्ताधारी दल के नेताओं के बयान अधिकारियों के सुपरविजन जैसे हुए हैं.घटना की वाजिबित को समझे और पीड़ित को बिना देखे ही सत्ताधारी दल के नेताओं ने अल्प सूचनाओं पर अपनी विशिष्ट राय रख दी.जाहिर तौर पर लालू मामले में पावर वाले लोग तटस्थ नहीं रहे.मोटे तौर पर लालू के साथ कहीं से न्याय होता नहीं दिख रहा है.आखिर में हम यही कहेंगे की सत्तासीनों और विभिन्य तंत्रों की आँखे और उनके कान अलहदा होते हैं.
लालू मामले में सत्ताधारी दल के नेताओं के बयान अधिकारियों के सुपरविजन जैसे हुए हैं.घटना की वाजिबित को समझे और पीड़ित को बिना देखे ही सत्ताधारी दल के नेताओं ने अल्प सूचनाओं पर अपनी विशिष्ट राय रख दी.जाहिर तौर पर लालू मामले में पावर वाले लोग तटस्थ नहीं रहे.मोटे तौर पर लालू के साथ कहीं से न्याय होता नहीं दिख रहा है.आखिर में हम यही कहेंगे की सत्तासीनों और विभिन्य तंत्रों की आँखे और उनके कान अलहदा होते हैं.
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