फ़रवरी 07, 2017

नजराना चढाये बगैर नहीं मिल रहा बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र


महीनों जन्म प्रमाण पत्र के लिए नीतु लगाती रही
मानसी प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र के चक्कर......
मानसी से कुमार धनंजय निराला की रिपोर्ट--- 
मानसी प्राथमिक स्वास्थ्य की चाल--ढ़ाल बिल्कुल निराली है ।नीतू नाम महिला अपनी बच्ची के जन्म प्रमाण पत्र के लिए दौड़ लगाती रही लेकिन उसे जन्म प्रमाण पत्र आखिरकार अभीतक नहीं मिला है ।आखिर में हताश व परेशान होकर नीतू ने दिनांक 7 फरवरी को खगड़िया सिविल सर्जन एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पत्र लिख लिखकर जन्म पत्र दिए जाने की गुहार लगाई है । 
अपने आवेदन पत्र में नीतू ने बिहार के आलाकमान श्री नीतीश कुमार की सुशासन सरकार में वो भी एक सरकारी अस्पताल में अपने बच्चा को जन्म देने के उपरांत अपने बच्चा का जन्म प्रमाण पत्र पाने के लिए दर-- दर भटक रही है ।हद की इंतहा है की आजतक उसे जन्म प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है।जी हाँ शायद आपको यह बात थोड़ा अटपटा सा लगता हो पर यह बिल्कुल सच है ।  
पत्रकारों को अपनी आपबीती सुनाते हुए नीतु ने कही कि 21/6/2016 को मानसी प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र में बच्ची को जन्म दी थी लेकिन जन्मोपरांत  जन्म प्रमाण पत्र के लिए छ: माह से अस्पताल की चक्कर लगा रही हूँ ।यह सब होने की जो वजह नीतू ने बताया,वह बेहद दुःखद है ।नीतू ने कहा की दौ सौ रूपये नजराना नहीं दिये जाने के कारण उसे जन्म प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है । नीतू ने वरीय लिपिक दिलीप कुमार पर जहां पैसा मांगनें का आरोप लगाया है वहीं डाटा आपरेटर गौतम कुमार पर भी गुमराह किये जाने की बात कही है । 
इस संबंध में जब प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा० मनीष कुमार से पुछा गया तो उन्होनें  आवेदन दिये जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि जन्म प्रमाण पत्र निर्गत करने का त्वरित आदेश दिया गया है और संबंधित कर्मी से स्पष्टीकरण पुछा गया है । इधर सिविल सर्जन खगड़िया ने कहा कि मामला संज्ञान में आने पर विधिसंवत कार्यवाही की जायेगी । अब बड़ा सवाल यह है की जन्म प्रमाण पत्र कितने दिनों में उन्हें मिल पाता है या नहीं ये तो समय के गर्भ में है । 
अलबत्ता नीतू ऐसे कई दर्जनों पीड़ित परिवार हैं,जो इस तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं ।दीगर बात है की नीतू ने स्वास्थ्य महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखित रूप में अपनी आवाज उठाई ।नीतू की यह समस्या सिस्टम में कई छेद की जहां पोल खोल रही है वहीं नितीश बाबू को स्वास्थ्य महकमे के सच से रूबरू भी करा रही है ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।