नवंबर 30, 2016

कहते हैं इश्क में कुछ भी कर गुजरते हैं प्यार के पंछी



प्यार ने गिराई रिवायत की दीवार.........
पति को छोड़ नवयुवती प्रेमी के साथ हुयी फरार........
पुलिस ने सकुशल लड़की को किया बरामद........
कहते हैं इश्क में कुछ भी कर गुजरते हैं प्यार के पंछी........
महज तीन महीने पहले हुयी थी शादी नेहा की...........
प्रेमी हेमंत पुलिस की पकड़ से अभीतक बाहर............

मुकेश कुमार सिंह की सहरसा से दो टूक---->>
कहते हैं प्रेम अंधा होता है और वह किसी भी सामाजिक बंधन,रिवायत,मर्यादा,संस्कार और मेड़ को नहीं स्वीकारता और सभी कुछ को धराशायी करने का माद्दा रखता है ।ऐसा ही कुछ किया बिहार के सहरसा जिले के गोलमा गाँव के दो पागल प्रेमी ने ।गोलमा गाँव की रहने वाली 18 वर्षीय कमसिन नेहा की शादी बगल के ही गाँव के राजेश सिंह से महज तीन माह पहले हुयी थी । लेकिन नेहा शादी से पहले से ही अपने गाँव के ही युवक हेमंत झा से प्यार करती थी ।शादी से पहले नेहा ने अपने पिता भूषण सिंह से काफी आरजू--मिन्नत की थी की उसकी शादी हेमंत से करायी जाए ।वह हेमंत को मन ही मन पति मान चुकी है ।लेकिन सामाजिक प्रतिष्ठा और जातीय बंधन में जकड़े भूषण सिंह ने वही किया जो एक आम पिता करता है ।तीन माह पूर्व नेहा की शादी राजेश से कर दी गयी ।लेकिन दिल के अंदर बैठा हेमंत नेहा को लगातार मजबूर कर रहा था ।इधर पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राजेश शराब का शौकीन था लेकिन शराबबंदी के कारण गांजे और भांग का सेवन करता था ।पति के इस चरित्र ने नेहा की हेमंत के प्रति उसकी दीवानगी को और बढ़ा दिया ।जबकि पुलिसिया तंत्र से जानकारी यह भी मिल रही है की हेमंत अपराधिक चरित्र का युवक है ।
इधर प्रेम अगन में जल रही नेहा लगातार हेमंत के संपर्क में थी ।आखिरकार प्यार में सारी दीवारें गिराकर नेहा 18 नवम्बर को हेमंत के साथ फरार हो गयी ।जाहिर तौर पर गाँव के एक सम्मानित परिवार की लड़की भागी थी ।नेहा के पिता और पति पतरघट ओपी पहुंचे ।पति राजेश के आवेदन पर हेमंत के खिलाफ अपहरण का एफआईआर दर्ज किया गया ।जिला मुख्यालय में भी बड़े पुलिस अधिकारियों पर दबाब बनाया जा रहा था । नेहा के मायके और ससुराल के साथ--साथ हेमंत के घर में कोहराम मचा हुआ था ।पुलिस हेमंत के परिवार पर भारी दबाब बनाये हुयी थी ।पतरघट ओपी प्रभारी कमलेश कुमार एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए थे ।मोबाइल से दोनों प्रेमी युगल का लोकेशन लिया जा रहा था लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी ।इस दौरान नेहा और हेमंत अपने प्यार को और जवां करते रहे ।लेकिन आज दोपहर बाद नेहा खुद सकुशल थाने आकर आत्मसमर्पण कर दिया ।पुलिस अब नेहा का मेडिकल टेस्ट के साथ--साथ कोर्ट में धारा 164 में बयान कराने में जुटी है ।मासूम और निहायत कोमल दिखने वाली नेहा के इस कदम ने उसके जीवन में एक ऐसा दाग लगाया है,जो इस जीवन में तो छूटने से रहा । आरोपी हेमंत पुलिस की पकड़ से अभी बाहर है ।
नेहा बालिग है और अब वह फिर से अपने पति के साथ रहने को तैयार है ।आखिर नेहा का यह कैसा प्यार था ?हेमंत के साथ जिस्मानी भूख मिटाकर वह वापिस लौटी है ।क्या पिता भूषण सिंह का खोया सम्मान वापिस होगा ?क्या पति राजेश फिर से नेहा को निर्मल प्यार दे पायेगा ?क्या दोनों परिवारों के सदस्य नेहा को वह प्यार दे सकेंगे,जिसकी वह हकदार थी ?
नेहा का प्यार अगर सच्चा होता,तो,वह हेमंत को छोड़कर कभी वापिस नहीं आती ।देह पर रेंगने वाले प्यार का यह साबूत उदाहरण है ।पुलिस और अदालत इस मामले में जैसी भी कार्रवाई करे, हमारी समझ से नेहा के जीवन में ग्रहण लग चुका है ।माता--पिता को शिक्षा देते समय सामाजिक परिवेश,उंच--नीच और नैतिकता का पाठ अपने बच्चों को जरूर पढ़ाना चाहिए ।
इस समय मुझे आलोक धन्वा की एक कविता की पंक्ति बड़ी सिद्दत से याद आ रही है""घर की बेड़िया कितनी कमजोर थी,इसका पता तब चलता है,जब कोई लड़की घर से भाग जाती है ।वैसे गालिब ने भी क्या खूब कहा है""इश्क ने कर दिया निकम्मा,वर्ना हम भी आदमी थे काम के""।
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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।