जुलाई 20, 2016

गांधी पथ में युवक मंतोष यादव की हत्या....

मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---

सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट ---

 बीती देर रात सदर थाना के गांधी पथ में एक युवक मंतोष यादव की लाश बरामद हुयी । पुलिस का कहना है की मोबाइल टावर पर से गिरकर युवक की मौत हुयी है ।लेकिन मृतक के परिजन का कहना है की युवक को चाक़ू से गोदकर उसकी हत्या की गयी है । पुलिस के रवैये यानि बिना सच की तहकीकात किये त्वरित गति से अनसंधान कर फैसला सुनाने के विरोध में आज स्थानीय लोगों का गुस्सा फूटा ।पहले तो लोगों ने सदर थाना के बाहर आगजनी कर अपना विरोध प्रदर्शन किया,उसके बाद थाना चौक पर आगजनी कर चौक को पूरी तरह से जाम कर दिया । इस जाम की वजह से घंटों यातायात बाधित रहा ।
बीते कुछ महीनों की बात करें तो इस इलाके में कई हत्याएं हुयी हैं ।लेकिन पुलिस किसी भी मामले का ना तो तटस्थ पड़ताल कर पायी है और ना ही पटाक्षेप ।इस इलाके में पुलिस की बिगड़ैल कार्यशैली की वजह से अपराधियों का मनोबल सातवें आसमान पर है ।अक्सर लूट,छिनतई,चोरी और ह्त्या की घटना से आमजन बेहद परेशान और खुद को असुरक्षित समझ रहे हैं ।एक तरह से इस इलाके में अपराधियों की समानांतर सरकार चल रही है ।पुलिस की गस्ती ना केवल सुस्त और मंद है बल्कि कागजी खानापूर्ति भर हो रही है । पुलिस कर्मी अपराध की मोटी फाईल लेकर बस हाँफते और जल्दी से उसके निपटारे की जुगत में जुटे रहते हैं ।
हद तो यह है की एक घटना के बाद पुलिस अधिकारी दम भी नहीं मार पाते हैं की नयी घटना उनके सामने बड़ी चुनौती के साथ आ जाती है ।अब मंतोष की मौत की गुत्थी को सुलझाना पुलिस के लिए एक नयी मुसीबत है ।पुलिस के खिलाफ लोगों के आक्रोश के बाद अब पुलिस अधिकारी भी मंतोष की मौत को ह्त्या मान रहे हैं ।हाय री !सहरसा पुलिस ! गजब तेरे कारनामे और गजब तेरे करतब ।
आगे यह देखना बेहद जरुरी है की पुलिस इस मामले में अपनी तफ्तीश कैसे आगे बढ़ाती है ।वैसे अब लोग खुलकर कहते हैं सदर थाना सहित जिले के विभिन्य थाने के पुलिस अधिकारी अपराध पर लगाम लगाने की जगह जमीन की दलाली में ज्यादा रूचि रखते हैं ।मृतक के पिता  अशोक यादव के बयान पर सदर थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जा रहा है ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।