जुलाई 09, 2016

सच बताने से पहले दुनिया को कह गयी अलविदा, जिंदगी की जंग हार गयी गुड़िया....


मुहब्बत में गयी जान या की फरेब में ?
मामला कहीं ऑनर किलिंग का तो नहीं ?
नहीं बजी शहनाई,उठी अर्थी....
पुलिस के लिए बड़ी चुनौती 
मुकेश कुमार सिंह की कलम से---

आखिर तमाम इंसानी कोशिशों ने हाथ खड़े कर दिए । नाकाम हो गयी, उस मासूम गुड़िया भारती को बचा पाने की सारी जुगत .गुड़िया चौसा थाना क्षेत्र के अरजपुर पश्चिमी पंचायत के खलीफा टोला पोखर में बीते रविवार को गंभीर रूप से जख्मी अवस्था में मिली थी .जिस समय आसपास के लोगों ने उसे देखा था,वह असीम दर्द से कराह रही थी .शुरू में उसकी पहचान नहीं हो सकी थी .अज्ञात के तौर पर एक पुलिस अधिकारी फरिस्ता बनकर, उसका ईलाज करवा रहा था .लेकिन गुड़िया बच ना सकी .गुड़िया अपने मुंह से अपनी मौत के लिए जिम्मेकार लोगों के नाम का खुलासा नहीं कर पायी .वह सिर्फ अपनी पहचान भर बता सकी और परलोक सिधार गयी .बताते चलें की,ग्वालपाड़ा थाना के अरार ओपी क्षेत्र के जयराम परसी निवासी नवल किशोर यादव की बेटी गुड़िया भारती ने पांच दिनों के बाद इलाज के दौरान आखिरकार कल दम तोड़ दिया.
  
घटना के बाबत मिली जानकारी के मुताबिक़ चौसा के पोखर में कराहती लड़की के मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी .और फिर उस मासूम बेटी पर एक पुलिस वाले ने खाकी का असल रंग दिखाते हुए,ईलाज के लिए पहले उसे मधेपुरा भेजा लेकिन उसकी स्थिति नाजुक थी इसलिए उसे वहाँ से दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजना पड़ा .पुलिस अधिकारी इस बच्ची की जान हर हालात में बचाना चाहते थे,ताकि इसके साथ हुए दरिंदगी की पूरी कहानी सबके सामने आ सके और मासूम को इस हालात तक पहुंचाने वाले सलाखों के पीछे जा सकें .
लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था . डीएमसीएच में जिन्दगी और मौत के बीच जूझते हुए इस अभागी बच्ची ने कल सुबह दम तोड़ दिया .बच्ची के दम तोड़ने की खबर मिलने के बाद मृतका के माँ-बाप से अधिक चौसा थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह सदमे में आ गए.यहां यह बताना बेहद जरुरी है की ये वही थानाध्यक्ष हैं जिन्होंने मानवता की मिसाल पेश की और तबतक अज्ञात रही लड़की को बचाने का खुद से भगीरथ प्रयास किया .खुद के पैसे खर्च किये और हरदम अपना एटीएम तक साथ लेकर खर्च के लिए तैयार रहे .
अब जानिये गुड़िया के बारे में----गुड़िया अपने ननिहाल शंकरपुर थाना क्षेत्र के मधेली गाँव में रहकर पढ़ाई करती थी. बताया जाता है की इंटर की परीक्षा देने के बाद वह करीब ढाई महीने पहले वह ननिहाल से गायब हो गई थी. अब मृतका के पिता ने भी स्वीकार किया है की उनकी बेटी प्रेम प्रसंग में घर से गायब हुई थी और ननिहाल मधेली के ही गजेन्द्र शर्मा ने पप्पू और विजेंद्र शर्मा की मदद से उसे भगाया गया था. गाँव के लोग भी इसे प्रेम प्रसंग का मामला ही मान रहे हैं. कहते हैं कि खुद को अपमानित महसूस कर गुस्से में माता-पिता ने थाना में आवेदन तो दिया पर तभी पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई .
सवाल बडा है और पुलिस की गहन जांच का विषय भी है की क्या गुडिया को उसके प्रेमी ने इस अंजाम तक पहुंचाया या फिर उसकी मौत का जिम्मेवार कोई और है . गुड़िया की गर्दन इतनी बेरहमी से मरोड़ी गई थी कि उसकी मौत उसी समय ही हो जानी चाहिए . लगता है की शायद हत्यारों के गिरेबान तक पुलिस के हाथ पहुँचने थे,इसलिए पीड़िता पांच दिनों तक जिन्दा रह गई . लेकिन दुर्भाग्य देखिये की गुड़िया सिर्फ अपनी पहचान भर बता सकी. उसे किसने इस हाल में पहुंचाया,वह यह बताने से पहले ही दुनिया को अलविदा कह गयी . अब सबसे बड़ी जिम्मेवारी मधेपुरा पुलिस के कन्धों पर पर है की गुड़िया की मौत की गुत्थी,यानि इस नाकाम मुहब्बत में मासूम को मौत के मुंह में धकेलने वाले उन चेहरों को सामने लाये और दोषियों को कठोर से कठोर से कठोर सजा दिलवाये .यह काली करतूत या तो प्रेमी की तरफ से हो सकती है,या फिर यह मामला ऑनर किलिंग का भी हो सकता है .
चौसा थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह साफ़ शब्दों में कहते हैं की गुडिया को इस हालात तक पहुंचाने में यदि कोई,चाहे उसका प्रेमी और उसके रिस्तेदार,या फिर उसके माता--पिता भी अगर दोषी हुए तो उन्हें क़ानून से सजा वे दिलवाकर रहेंगे .
इस मामले में एसपी विकास कुमार ने बताया की  लड़की शंकरपुर थाना क्षेत्र स्थित मधेली गांव स्थित अपने नाना के घर से एक माह पूर्व भागी थी। .किशोरी के पिता ने बच्ची को अपने पुत्री के रूप में पहचान कर लिया है .पुलिस जांच में जुटी हुई है की किशोरी को मरा समझकर चौसा थाना क्षेत्र में किसने फेंका था.पुलिस बहुत जल्द दोषी की पहचान कर उसे सजा दिलवाने का काम करेगी . 
बहरहाल मामला जो भी हो लेकिन अभी लड़की को लेकर तरह-तरह की चर्चा जोरों पर है .अब इस मामले में पुलिस अनुसंधान में जो भी सच निकलकर सामने आये और कार्रवाई के नाम पर जो भी हो लेकिन बड़ा सच यह है की गुड़िया अब लौटकर कभी नहीं आएगी .गुड़िया ने अपने प्राण की आहुति दे दी है ।

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