करोड़ों की योजना को लगा है घुन्न.......
मो०अजहर उद्दीन की खास रिपोर्ट ---
सरकार के द्वारा हर जिला में शिक्षा और स्वास्थय पर करोड़ो रूपये की राशि खर्च कर के जिलेवासियों को नयाब तौहफा देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है लेकिन सच से गुरेज कैसा है।मो०अजहर उद्दीन की खास रिपोर्ट ---
आज इस तस्वीर को बानगी बना कर हम आप सभी के सामने बेदर्द--बेशर्म सच पेश कर रहे हैं । क्या सरकारी धन को पानी की तरह जमीन पर बहाने का फायदा गरीब और निरीह जनता उठा रही है।
ये इमारत किसी निजी व्यक्ति का आवास या किसी सरकारी कर्मचारी का आवास नहीं है। जनाब यह छात्रों का आवास है यानि छात्रावास है।
आगे बताना लाजमी है कि पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग द्वारा "जन नायक कर्पूरी ठाकुर" का नाम देकर इस छात्रावास का कार्य 02/04/2012 को शुरू किया गया और इस कार्य के पूरा होने कि समय--सीमा 15 माह विभाग के द्वारा तय की गयी। यानि 02/07/2013 को विभाग के द्वारा निर्धारित समय पर कार्य पूरा हो जाना चाहिए लेकिन निर्धारित समय--सीमा से दो साल से अधिक हो गया है और यह छात्रावास पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हो सका है।
निर्माण का सच आप सभी के सामने है। जिले में बहुत सारे पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति के छात्र अपने गाँव से पढ़ाई करने के साथ--साथ सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्य योजनाओं का लाभ उठाने शहर आते हैं लेकन बदकिस्मती देखिये की उन्हें निजी मकान भाड़े पे लेकर पढ़ाई करना पड़ता है। आखिर सरकार के द्वारा लाखों-करोड़ों रूपये लगा कर छात्रावास भवन का निर्माण किया जाता है लेकिन सिस्टम के दोष के कारण छात्र ससमय सुविधाओं के लाभ से मरहूम रह जाते हैं।
आखिर ये इमारत को पूरी तरह से मुकम्मल तैयार होने में किन बातों कि समस्या आ रही है और इसको पूरी तरह से तैयार होने में कितना वक़्त लगेगा ? इसे जानना बेहद जरूरी होगा।
सच्चाई जानिये की (1) आवंटन की राशि पूरी तरह से निर्माण होने से पुर्व ही समाप्त हो गयी, (2) आवंटित राशि का हुआ बंदर-बाँट या फिर और कोई है समस्या? इसपर से जल्द ही पर्दा उठना बेहद जरूरी। है तभी पता चल पायेगा छात्रावास के निर्माण का सच। बताना बेहद जरुरी है की इस छात्रावास का निर्माण एक दबंग ठेकेदार के द्वारा कराया जा रहा है जिसका मजबूत और मधुर सम्बन्ध शासन और प्रशासन में बैठे आकाओं से है। इस निर्माणाधीन छात्रावास को लेकर बड़े अधिकारी से लेकर सत्तासीन नेता कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं ।
ये इमारत किसी निजी व्यक्ति का आवास या किसी सरकारी कर्मचारी का आवास नहीं है। जनाब यह छात्रों का आवास है यानि छात्रावास है।
आगे बताना लाजमी है कि पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण विभाग द्वारा "जन नायक कर्पूरी ठाकुर" का नाम देकर इस छात्रावास का कार्य 02/04/2012 को शुरू किया गया और इस कार्य के पूरा होने कि समय--सीमा 15 माह विभाग के द्वारा तय की गयी। यानि 02/07/2013 को विभाग के द्वारा निर्धारित समय पर कार्य पूरा हो जाना चाहिए लेकिन निर्धारित समय--सीमा से दो साल से अधिक हो गया है और यह छात्रावास पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हो सका है।
निर्माण का सच आप सभी के सामने है। जिले में बहुत सारे पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति के छात्र अपने गाँव से पढ़ाई करने के साथ--साथ सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्य योजनाओं का लाभ उठाने शहर आते हैं लेकन बदकिस्मती देखिये की उन्हें निजी मकान भाड़े पे लेकर पढ़ाई करना पड़ता है। आखिर सरकार के द्वारा लाखों-करोड़ों रूपये लगा कर छात्रावास भवन का निर्माण किया जाता है लेकिन सिस्टम के दोष के कारण छात्र ससमय सुविधाओं के लाभ से मरहूम रह जाते हैं।
आखिर ये इमारत को पूरी तरह से मुकम्मल तैयार होने में किन बातों कि समस्या आ रही है और इसको पूरी तरह से तैयार होने में कितना वक़्त लगेगा ? इसे जानना बेहद जरूरी होगा।
सच्चाई जानिये की (1) आवंटन की राशि पूरी तरह से निर्माण होने से पुर्व ही समाप्त हो गयी, (2) आवंटित राशि का हुआ बंदर-बाँट या फिर और कोई है समस्या? इसपर से जल्द ही पर्दा उठना बेहद जरूरी। है तभी पता चल पायेगा छात्रावास के निर्माण का सच। बताना बेहद जरुरी है की इस छात्रावास का निर्माण एक दबंग ठेकेदार के द्वारा कराया जा रहा है जिसका मजबूत और मधुर सम्बन्ध शासन और प्रशासन में बैठे आकाओं से है। इस निर्माणाधीन छात्रावास को लेकर बड़े अधिकारी से लेकर सत्तासीन नेता कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं ।
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