विनोद राठौर और चांदनी के साथ मुकेश सिंह |
चांदनी रॉय ने भी सहरसा के दर्शकों की तारीफ़ में कसीदे कढ़े और कहा की उन्हें यहां गाना गाने में खूब मजा आया । विनोद राठौर ने कहा की वे बचपन से ही संगीत में डूबे रहे हैं । अपने ओजस्वी पिता पंडित चतर्भुज राठौर से उन्होनें संगीत की बारीकियों को ना केवल सीखा बल्कि उसी को आज भी आत्मसात किये हुए हैं ।उन्होनें कहा की वे देश की कई भाषाओं में गाने गा चुके हैं जिसमें मैथिली और भोजपुरी भी है ।अपने बड़े भाई रूप कुमार राठौर और श्रवण राठौर से भी बहुत कुछ सीखने की बात बताते हुए उन्होनें कहा की वे किशोर दा के दीवाने रहे हैं ।उनके गाये हिंदी गानों में उन्हें प्रेमग्रंथ फ़िल्म का गाना *दिल देने की रुत आई*और बाजीगर का *बताना भी नहीं आता और छुपाना भी नहीं आता*गाना उन्हें बेहद पसंद है ।
जानकारी
देते हुए विनोद ने आगे कहा की उनका नया एल्बम *मेरा प्यार*जनवरी महीने में आ
रहा है जो खूब धमाल मचायेगा ।12 सितम्बर 1962 को मुम्बई में पैदा हुए
विनोद आज भी कार्यक्रम से पूर्व कम से कम दो घंटे रियाज करते हैं ।वर्ष
1987--88 में*मेरे दिल में अंधेरा है कोई शमा तो जला दे* गाना से अपना सफ़र
शुरू करने वाले विनोद हिंदी,मराठी,अंग्रेजी,उड़िया,फ् रेंच,मैथिली,भोजपुरी
सहित कई और भाषाओं में भी 3500 से ज्यादा गाने गा चुके हैं ।चांदनी कई
बंगाली फिल्मों में अपनी मदमस्त आवाज दे चुकी हैं और कई हिंदी फिल्मों में
एक साथ गा रही हैं ।
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