दिसंबर 14, 2015

तीन दिवसीय सांस्कृतिक उग्रतारा महोत्सव का आगाज......

मुकेश सिंह की रिपोर्ट: वर्ष 2O12 से शुरू हुए तीन दिवसीय उग्रतारा महोत्सव का आज आगाज हो गया । महिषी के राजकमल मैदान में बने भव्य मंच पर दीप प्रज्ज्वलित कर राज्य की पर्यटन मंत्री अनीता देवी ने इसका उदघाटन किया ।इस मौके पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री प्रोफ़ेसर अब्दुल गफूर, सोनवर्षा राज के जदयू विधायक रत्नेश सदा के साथ--साथ कोसी प्रमंडल की आयुक्त टी. बिन्देश्वरी,कोसी प्रक्षेत्र के डीआईजी नागेन्द्र प्रसाद सिंह,सहरसा के जिलाधिकारी बिनोद सिंह गुंजियाल और पुलिस कप्तान विनोद कुमार मौजूद थे ।
कार्यक्रम के उदघाटन के दौरान क्षेत्रीय कलाकारों ने आगत अतिथियों के स्वागत में ना केएल गीत गाये बल्कि जमकर नृत्य भी किये।स्वागत में बेहद खास बात तो यह रही की महिषी वेदपीठ के बच्चों ने संस्कृत में मन्त्र पढ़कर अतिथियों का स्वागत किया।
आज कार्यक्रम का आगाज हो चुका है और आज शाम से लेकर कल और कार्यक्रम के तीसरे और अंतिम दिन यानि सोलह दिसंबर को शाम से लेकर देर रात तक यहां पर सुरों और नृत्यों की दरिया बहने वाली है ।
आज भी इन अतिथियों के आगमन पर नृत्य और गायन हुआ जिसकी तस्वीर हम अपने दर्शकों को दिखा रहे हैं । देखिये मंत्री साहिबा को, किस तरह से वे दीप प्रज्ज्वलित करके इस महोत्सव का उदघाटन कर रही हैं।दर्शकों की अच्छी खासी भीड़ और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस कार्यक्रम का उदघाटन हो गया । इस मौके पर सहरसा टाईम्स ने पर्यटन मंत्री अनीता देवी से ख़ास बातचीत की जिसमें उन्होनें कहा की इस इलाके को पर्यटन के तौर पर ना केवल विकसित किया जाएगा बल्कि इस इलाके में लगातार मिल रही पुरातात्विक महत्व की चीजों को सहेज कर रखने के भी बड़े प्रयास होंगे।
तीन दिवसीय सांस्कृतिक उग्रतारा महोत्सव में विभिन्य सरकारी विभागों के अलावे गैर सरकारी संस्थानों के द्वारा सौ से ज्यादा स्टॉल भी लगाए गए हैं।जाहिर तौर पर ये स्टॉल यहां पहुँच रहे लोगों के लिए बेहद आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं ।लोग यहाँ से अपनी जरुरत की चीजों की खरीददारी भी कर रहे हैं ।
आज शाम से रात तक क्षेत्रीय कलाकारों की प्रस्तुति के साथ--साथ राजस्थानी नृत्य होगा ।कल एक शाम मैथिली के नाम और  आखिरी दिन यानि परसों ख्याति लब्ध बॉलीबुड गायक विनोद राठौर अपनी जादुई आवाज से लोगों को झूमने और नाचने--गाने पर मजबूर करेंगे।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।