नवंबर 27, 2015

साहित्य की घोर ह्रास से हमारी संस्कृति व सभ्यताएं भी सिमटती जा रही है......


कृष्ण मोहन सोनी की कलम से साहित्य पर एक छोटा सा प्रकाश, एक रिपोर्ट:- हर क्षेत्र में साहित्य का एक अपना अलग महत्व है. खास कर मानव जीवन  साहित्य से जुड़ाव होना अतिआवश्यक है. साहित्य मानव जीवन के हर सुख दुःख में एक सच्चे साथी व जीवन को जीने में बहुत ही कारगर अनमोल रत्न जैसी खुशियाँ भी देती है. 
साहित्य से इतर रहकर मनुष्य अपने जीवन को सही-सही जी नही सकते. कितनी भी कठिनाइयाँ हो और साहित्य सामने आ जाय तो हर कठिनाइयों को दूर कर जीवन संवार कर सुखमय जीया जा सकता है. मनोरंजन का क्षेत्र हो या समाज विकास या राजनीतिक पहलू देश की संप्रभुता की रक्षा या फिर देश की सांस्कृतिक सभ्यताएं व सौहार्द को ठोस और उसे अछुण्ण बनाये रखने में साहित्य का होना आवश्यक है नही तो जीवन कष्टमय ही नही बल्कि कई बहुमूल्य सोच व  दिशा के  साथ साथ हम मानव जीवन की महत्तता को खो देंगे और हमारी मानव जीवन की संम्पूर्ण कहानी भी जमींदोज हो जायेंगे.
 इसलिए हर मानव  जीवन को साहित्य के प्रति संवेदनशील और इनके हर रस में घुल जाने की जरूरत है ताकि हर क्षेत्र में साहित्य के बल पर आगे बढ़ा जा सके लेकिन वर्तमान में इन दिनों साहित्य की घोर ह्रास व अपेक्षित रहने की वजह से ही पुरे विश्व में एक बदलाव हो रहा है जो कहीं न कहीं विनाश का कारण: बनता जा रहा है. यही कारण है कि हर देश अस्थिरता व विभिन्न आपदाओं से जूझ रहा है और हमारी संस्कृति व सभ्यताएं भी सिमटती जा रही है..।  

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।