मुझे राजनीति करनी नहीं आती,पिता को इन्साफ दिलाने,माँ का संबल बनने आया हूँ----चेतन आनंद
मुकेश कुमार सिंह की कलम से-------
कभी
रॉबिन हुड तो कभी बाहुबली और कभी राजपूतों के क्षत्रप. सहरसा जिले के
पंचगछिया गाँव के रहने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन बिहार में जे.पी.आंदोलन
की ऊपज हैं. बिहार सहित देश की राजनीति में मजबूत हस्तक्षेप रखने वाले आनंद
मोहन की राजनीतिक यात्रा विगत कुछ वर्षों से ठहरी हुयी है.फिलवक्त आनंद
मोहन बिहार के गोपालगंज जिले के तत्कालीन डी.एम.जी.कृष्णैया हत्या मामले
में माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आजीवन कारावास के सजायाफ्ता हैं और अभी
सहरसा जेल में बंद हैं .लगभग एक दशक से जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन
हांलांकि इस बाबत खुद को निर्दोष और क्रूर राजनीति के शिकार बताते हैं. इस
कठिन दौर में,लम्बे समय से राजनीति से दूर रहने वाले आनंद मोहन की राजनीतिक
गाडी को उनकी धर्मपत्नी श्रीमती लवली आनंद आगे बढ़ाती रही है. लेकिन पति के
साथ हुए अन्याय और देश के बड़े राजनेताओं के द्वारा लगातार छलावा मिलने की
वजह से उनके राजनीतिक जीवन में ना तो कभी ठहराव आ सका और ना ही वह कहीं
उच्चतर राजनीतिक हैसियत ही बना पायी. वैसे जेल में बंद रहने के बाद भी, हर
चुनाव के वक्त आनंद मोहन का कद तमाम राजनीतिक पार्टियों के लिए कतिपय बढ़ा
हुआ रहा है और कई पार्टियां अपने फायदे के लिए उनका भरपूर इस्तेमाल भी करती
रही है.
वैसे बताते चलें की तमाम विकट हालात के बाबजूद, पूर्व सांसद आनंद
मोहन का जहां बिहार में एक बड़ा जनाधार है वहीँ देश के अन्य हिस्सों में भी
उनकी पकड़ है. पूर्व सांसद आनंद मोहन के गुरुकुल से निकले किशोर कुमार मुन्ना
और नीरज कुमार बबलू कोसी इलाके की राजनीति में एक अलग और मजबूत पहचान
बनाये हुए हैं. यही नहीं आनंद मोहन के गुरुकुल से राजनीति के गुर सीखकर
विधायक जय कुमार सिंह, झारखण्ड सरकार के पूर्व मंत्री कमलेश कुमार सिंह, पारु
विधायक अशोक कुमार सिंह,गोपालगंज विधायक सुभाष सिंह,गया विधायक वीरेंद्र
सिंह,फारविसगंज विधायक पद्म पराग रेणू,गणपतगंज विधायिका दमयंती
यादव, मोतीपुर विधायक ब्रज किशोर सिंह,देव की पूर्व विधायिका रेणू
पासवान, मीनापुर विधायक दिनेश कुसवाहा,विधान पार्षद दिनेश सिंह,पूर्व विधान
पार्षद विनोद कुमार सिंह,पूर्व विधायक ललन पासवान, पंकज पासवान और जयपुर राजस्थान के विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे
राजनेता, आज मजबूती से राजनीति में अपनी दखल रखते हैं.एक लम्बी फ़ौज है जो
पूर्व सांसद आनंद मोहन के असीम आशीर्वाद से आज राजनीति में बाखूबी परचम
लहरा रहे हैं.लेकिन यह एक बड़ा सच है की जेल में बंद रहने की वजह से आनंद
मोहन के ना केवल जनाधार को बड़ा झटका लगता रहा है बल्कि उनका राजनीतिक कद भी
काफी छोटा प्रतीत होता है.राजनीति के जानकार तो आनंद मोहन के राजनीतिक
जीवन के अवसान तक की बात करते दिखते हैं.अब तमाम कमियों को पाटने और
राजनीति में एक नयी शुरुआत का विगुल फूंकने पूर्व सांसद आनंद मोहन और उनकी
पत्नी लवली आनंद का बेटा चेतन आनंद आ रहा है.यूँ तो राजनीति में वंशवाद का
पुराना इतिहास रहा है जिसका मजबूत स्तम्भ और बेहतर उदाहरण नेहरू परिवार
है.इस कड़ी में लालू प्रसाद और रामविलास पासवान भी किसी से कमतर नहीं
हैं.
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चेतन आनंद को बेहद खास तरीके से
प्रोजेक्ट किया जा रहा है.लेकिन चेतन आनंद राजनीति में आने की बात से साफ़
इंकार कर रहे हैं और कह रहे हैं की एक तो राजनीति में आने की ना तो उनकी
ख्वाहिश है और ना ही उनकी उम्र है,दूसरा उन्हें अपनी पढ़ाई के जरिये देश की
सेवा करनी है.चेतन आनंद ने देश के अति प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान सिम्बायशिस पुणे से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
में स्नातक की डिग्री हासिल की है और अगले साल जनवरी माह में वे उच्चतर
शिक्षा के लिए आस्ट्रेलिया जा रहे हैं.उन्होनें अपने पिता के साथ हुए
अन्याय को सिद्दत से भोगा है.वे महज अपनी माँ का सम्बल बनने आये हैं.इसी
माह 29 जुलाई को पटना के रविन्द्र भवन सभागार में फ्रेंड्स ऑफ आनंद का
राज्य स्तरीय सम्मलेन है.इस सम्मेलन में प्रमुख साथियों से गहन
विचार--विमर्श के बाद कई अहम फैसले और भावी योजनाओं का खुलासा होगा. सहरसा
टाईम्स से चेतन आनंद ने राजनीति से जुड़े कई मसलों पर एक्सक्लूसिव और खास
बातचीत की.
चेतन आनंद ने सहरसा टाईम्स से खास बातचीत में पटना में
आहूत आगामी सम्मलेन को लेकर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की खुद चेतन
आनंद और लवली आनंद इस सम्मलेन को सफल और प्रभावी बनाने के लिए पिछले सप्ताह
से बिहार दौरे पर हैं. सम्मेलन के मुख्य मुद्दे को लेकर चर्चा करते हुए
चेतन आनंद ने कहा की ''ना विशेष पैकेज की भीख और ना ही असम्भव विशेष राज्य का
दर्जा'' बिहार के तीव्र विकास के लिए आबादी के अनुरूप राष्ट्रीय बजट में
बिहार का हिस्सा तय हो,जिससे बिहार खुद अपने पांवों पर खड़ा हो जाएगा.बिहार
बंटवारे के बाद अब,जब की राज्य की सभी खनिज सम्पदा झारखण्ड चली गयी है और
राज्य की अस्सी प्रतिशत आबादी आज सिर्फ खेती पर निर्भर है,तो राज्य की
तरक्की का एक मात्र रास्ता यह रह जाता है की हम खेती पर विशेष ध्यान
दे.इसके लिए बिहार सरकार को अपने मुकम्मिल बजट का पचास प्रतिशत हिस्सा खेती
पर खर्च करना चाहिए.चेतन आनंद ने बातचीत के दौरान आगे कहा की गरीब सवर्णों
के आरक्षण की बात अब प्रायः हर पार्टी करने लगी है.मायावती जी,लालू
जी,रामविलास जी और नीतीश जी ने तो बढ़कर सवर्ण आयोग का गठन ही कर डाला.लेकिन
विडंबना देखिये की चार साल में यह आयोग चार कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया.अतः
हमारी मांग है की आर्थिक तौर पर पिछड़े और गरीब सवर्णों को भी सरकारी नौकरी
में 10 से 15 प्रतिशत तक आरक्षण का लाभ मिल सके.इससे देश की प्रतिभाओं का
पलायन रुकेगा.देश और दुनिया की हर क्रान्ति और हर बदलाव युवाओं के बलिदान
के दम पर होते आये हैं.लेकिन हद की इंतहा देखिये की कुर्बानी किसी की और
कब्जा किसी और का होता जाता है.युवाओं को अगर अपने सुर्ख़ाबी सपनों को
वाजीवियत की जमीन देनी है तो सत्ता में उनकी भागेदारी बेहद जरुरी है.ऐसे
में ''देश की तमाम पार्टियां आगामी चुनावों में 25 से 40 वर्ष के युवाओं को
50 प्रतिशत टिकट देना सुनिश्चित करे''.
अपनी बात खत्म करने से
पहले चेतन आनंद ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की इन मुद्दों पर आधारित भावी लड़ाई
में जो पार्टी या समूह हमारा साथ देंगे,आगामी विधानसभा चुनाव में फ्रेंड्स
ऑफ आनंद उसे ही अपना समर्थन देगा.
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