मार्च 09, 2013

कोसी महोत्सव में बही सूरों की दरिया

राज्य पर्यटन विभाग के सौजन्य से सहरसा में आयोजित हो रहे दो दिवसीय कोसी महोत्सव के आज पहले दिन पहले सत्र में जहां उद्दघाटन और महोत्सव को लेकर चर्चा और कुछ स्वागत गान और नृत्य हुए वहीँ महोत्सव के दुसरे सत्र में सुरों के नायाब और बेहतरीन बाजीगरी देखने को मिली। सांस्क्रतिक संध्या में  कोसी महोत्सव के इस मंच को मुम्बई के तृप्ति शाक्या म्यूजिकल ग्रुप सुशोभित कर रहा था।
सहरसा टाइम्स: कार्यक्रम की शुरुआत रात करीब नौ बजे हुयी जिसमें तृप्ति शाक्या की बेहतरीन गायकी ने लोगों का ना केवल मन मोह लिया बल्कि लोग गीतों को सुन--सुनकर बस झूमते और थिरकते चले गए। डेढ़ बजे रात तक चले इस भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम में तृप्ति शाक्या ने अपने बहुचर्चित भजन कभी राम बनके,कभी श्याम बनके और सासू बीड़ी स्वसुर गांजा,देवर पिए छै भांग जो अंगिका के बेहतरीन गीतों में से एक है को बड़े ही तन्मयता से और झुमाने वाले अंदाज में गाया।इसके बाद तृप्ति ने यारा सिली--सिली,पीया रे पिया रे,बाली उमर को सलाम,सत्यम शिवम् सुन्दरम,चार दिनों का प्यार मुहब्बत,लम्बी जुदाई सहित एक से बढ़कर एक गीत गाये।तृप्ति ने मैथिली गीत गाकर लोगों को और भी विभोर कर दिया।तृप्ति के इस म्यूजिकल ग्रुप ने इतने पर ही बस नहीं किया।
कई बेहतरीन नृत्यों की भी प्रस्तुति की गयी जिसने लोगों को मदहोश कर डाला।कुल मिलाकर यह सांस्कृतिक कार्यक्रम ना केवल मनोरंजक था बल्कि यह लम्बे समय तक यादगार बनकर लोगों के दिलो-दिमाग में जज्ब भी रहेगा।भारी सुरक्षा इंतजाम के बीच महोत्सव की पहली रात काफी शांतिपूर्ण और एतिहासिक तरीके से बीती।तृप्ति शाक्या म्यूजिकल ग्रुप ने कोसीवासियों पर ऐसी छाप छोड़ी है जिसे लोग एक मुद्दत बाद भी सहेज कर रखेंगे।कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी सतीश चन्द्र झा,एस.डी.ओ राजेश कुमार और उप विकास आयुक्त योगेंद्र राम के अलावे कई वरीय प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अधिकारी के  साथ--साथ थोक में पुलिस के जवान भी मुस्तैदी से डटे रहे 
। दिन में स्थानीय पटेल मैदान में जहां कबड्डी,फुटबॉल,बेडमिन्टन,मैराथन,घुडदौड़, खो--खो आदि खेलों का आयोजन होगा वहीँ महोत्सव स्थल सहरसा स्टेडियम परिसर में दिन भर स्थापित क्षेत्रीय कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।संध्या में जहां असम का बिहू नृत्य और दरभंगा रेडियो स्टेशन का कार्यक्रम होगा वहीँ रात्रि में प्रसिद्ध भोजपुरी सह लोक गायिका नूतन कुमारी नीतू अपनी गायकी का जलवा बिखेड़ेंगी।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।