सहरसा टाईम्स: बीते
28 जनवरी को मुरली वसंतपुर की दलित पंचायत समिति सदस्या ने B.D.O केशव
कुमार झा पर छेड़छाड़ और दुष्कर्म करने के प्रयास का SC/ST थाना में मामला
दर्ज कराकर जहां प्रशासनिक हलक में खलबली मचा दी थी वहीँ पुरे जिले में इस
घटना को लेकर सनसनी फ़ैल गयी थी। अब इस मामले में खूब सियासत हों रही
है। बताना लाजिमी है की पीड़िता और पीड़िता के पति दोनों अभी जख्मी अवस्था में
सदर अस्पताल में भर्ती हैं जहां उनका उपचार हो रहा है।सियासतदान अस्पताल
पहुंचकर पीड़ितों से ना केवल मिलकर कुशल--क्षेम पूछ रहे हैं बल्कि इस मामले
में निष्पक्ष जांच कर दोषी पर कठोर कारवाई की मांग भी कर रहे हैं।इनकी
मानें तो इन्साफ नहीं होने पर आगे वे उग्र आन्दोलन करेंगे। इस मामले में आज
एक दिलचस्प मोड़ और आ गया है।किसी दुसरे सिलसिले में आज राज्य अनुसूचित जाति
आयोग के उपाध्यक्ष और आयोग के कुछ सदस्य सहरसा पहुंचे थे।ये सभी सहरसा
परिसदन में ठहरे थे।पीड़िता वहाँ पहुंचकर आयोग के उपाध्यक्ष से मिली और अपनी
पीड़ा से उनको अवगत कराया।उपाध्यक्ष ने पुलिस अधिकारी से 15 दिन के भीतर
जांच करके रिपोर्ट मांगी है।आयोग के मुताबिक़ जांच में जो कुछ निकलकर
आयेगा,उस अनुसार कारवाई होगी।
सबसे पहले सदर अस्पताल चलिए। देखिये राजद जिलाध्यक्ष मोहम्मद ताहिर और लोजपा
नेत्री सरिता पासवान किस तरह से वहाँ पहुंचकर पीड़िता का हाल--चाल और घटना
को लेकर
जानकारी ले रहे हैं।इनकी मानें तो उचित जांच कर पीड़िता को शीघ्रता से न्याय
मिलना चाहिए,वर्ना वे आगे उग्र आन्दोलन करेंगे। इधर अस्पताल में भर्ती पीड़िता और उसके पति सहरसा टाईम्स से फ़रियाद कर
रहे हैं की B.D.O पर कोई कारवाई नहीं हो रही है।वे न केवल छुट्टा घूम रहे
हैं बल्कि अपना सारा काम आराम से कर रहे हैं।उनलोगों को लग रहा है की उनके
साथ इन्साफ नहीं होगा।इस स्थिति में वे आत्मदाह या फिर आत्महत्या कर
लेंगे।
देखिये पीड़िता सहरसा परिसदन में अपना दुखड़ा सुनाने के लिए राज्य
अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर योगेन्द्र पासवान के पास पहुंची
है।आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए मुख्यालय डी.एस.पी कैलाश प्रसाद
को 15 दिन के भीतर मामले की तटस्थ और पूरी जांच करके रिपोर्ट आयोग को देने
का फरमान दिया है।इनकी मानें तो जांच में जो सच निकलकर आयेगा,उसे देखते हुए
उचित कारवाई होगी।
आप भी जानिये: इस
मामले में अभीतक सहरसा पुलिस पूरी तरह से लापरवाह और सुस्त बनी हुयी
है।एक तरफ जहां यह मामला एक दलित महिला जनप्रतिनिधि के मान--सम्मान से
जुड़ा हुआ है वही B.D.O केशव कुमार झा के अबतक के जीवन काल की सारी जमापूंजी
दाँव पर लगी हुयी है।जाहिर तौर पर पुलिस के बड़े अधिकारियों को सीधा
हस्तक्षेप करते हुए इस मामले के तह में उतरकर त्वरित गति से सच को बाहर
निकालना चाहिए।हम बताना चाहते हैं की पीड़िता के साथ हमारी भी सहानुभूति है
लेकिन कहरा प्रखंड के सभी प्रखंडकर्मी और आसपास के दूकानदार इस मामले को
पूरी तरह से B.D.O को बदनाम करने की साजिश बता रहे हैं।इससे इतर अगर B.D.O
के पिछले सामाजिक छवि की बात करें तो इनपर चारित्रिक दुर्गुण के अभीतक कोई
दाग नहीं मिले हैं।जाहिर तौर पर पुलिस के बड़े अधिकारियों को इस मामले में
पूरी तरह से गंभीरता दिखाने की जरुरत थी। पुलिसिया जांच के बाद ही साजिश
अथवा घटना का असल रहस्य क्या है,बेपर्दा हो पायेगा।यूँ बताते चलें की सहरसा पुलिस भीड़
देखकर अभियोग की भाषा समझती है।बड़ी घटना से पहले उसको गहरी नींद से जागने
की आदत नहीं है।
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