सहरसा टाईम्स।।।।पिछले
एक पखवाड़े से बिजली के लिए त्राहिमाम कर रहे लोगों का धैर्य आख़िरकार जबाब दे गया और सैंकड़ों की तायदाद
में महिला और आमलोगों ने एक साथ न केवल बिजली महाप्रबंधक (G.M)के कार्यालय
पर हल्ला बोला बल्कि महाप्रबंधक सहित सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले के कई
बिजली अधिकारियों को एक साथ बंधक भी बना लिया। आप यह जानकार हैरान हो
जायेंगे की पिछले दस दिनों से सहरसा को दस घंटे भी बिजली नहीं मिली
है।सहरसा कोसी प्रमंडल का मुख्यालय है लेकिन इसके साथ लगातार अनदेखी होती
रही है।लोगों का आरोप है की कोसी प्रमंडल के ही सुपौल जिला में 24 घंटे
बिजली रहती है।चूँकि बिहार सरकार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव सुपौल के
रहने वाले हैं इसलिए बिजली अधिकारी उनके गृह जिला और उनपर मेहरबान बने रहते
हैं।बबाल पर आमदा लोगों ने साफ़ लहजे में कहा की इस बार वे समान रूप से
बिजली लेकर रहेंगे।वे बिजली बिल देते हैं।वे बंधक बने अधिकारियों को तबतक
मुक्त नहीं करेंगे जबतक वे बिजली समस्या से उन्हें निजात नहीं दिला
देते।दिन के साढ़े ग्यारह बजे से अन्य अधिकारियों के साथ लगातार
बंधक बने महाप्रबंधक (G.M) ने स्थिति की भयावहता को भांपकर राज्य मुख्यालय
को
त्राहिमाम सन्देश भेजा है।
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महाप्रबंधक बी.के.चौधरी |
यह है बिजली
महाप्रबंधक सह मुख्य अभियंता का कार्यालय।आठ जिले के ये सबसे बड़े बिजली
अधिकारी का कार्यालय है।देखिये महाप्रबंधक के कक्ष में लोगों का किस तरह
हुजूम पहुंचा हुआ है।लोगों ने यहाँ मौजूद महाप्रबंधक बी.के.चौधरी सहित
सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले के कई
बिजली अधिकारियों को एक साथ बंधक बना लिया है।लोगों का
गुस्सा सातवें आसमान
पर है और वे आज आरपार की लड़ाई के मुड में है।सामाजिक
कार्यकर्ता प्रवीण आनंद,राजद नेता शिव शंकर विक्रान्त,कॉंग्रेस नेता हीरा
प्रभाककर सहित अन्य लोगों का कहना है की ऊर्जा
मंत्री विजेन्द्र यादव के प्रभाव में सुपौल को जरुरत है दस मेगावाट बिजली
की लेकिन उसे चौदह मेगावाट बिजली दी जाती है।यहीं नहीं उसे तीन जगहों से
बिजली मिलती है। अगिया---बेताल हुए लोग कह रहे हैं की सहरसा सब से अधिक
राजस्व देने वाला जिला है लेकिन इसे 24 घंटे में एक घंटा बिजली भी नहीं मिल
रही है।यह सरासर अन्याय है जिसे अब वे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं
करेंगे।हद बात तो यह है की सहरसा का एक कोना सरकारी अमला भी है जहाँ बिजली
विभाग के लाखों में बकाये हैं लेकिन वहाँ बिजली बदस्तूर रहती है कभी कटती
ही नहीं है।सहरसा को अभी जरुरत है 35 मेगावाट बिजली की लेकिन उसे मिल
रही है महज तीन मेगावाट बिजली।सहरसा को जरुरत के मुताबिक़ और अन्य जिलों
के बराबर की बिजली उन्हें नहीं मिल जाती है इन बंधक बने अधिकारियों की
मुक्ति सम्भव नहीं है।
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कार्यपालक अभियंता,बिजली,
दूधेश्वर प्रसाद |
अब इनसे मिलिए ये जनाब हैं सुपौल के कार्यपालक अभियंता,बिजली
दूधेश्वर प्रसाद।देखिये लोग इनसे किस तरह से बहस कर रहे हैं।बहस में जनाब
के मुंह से निकल गया की ऊर्जा मंत्री का गृह जिला होने की वजह से
मुख्यमंत्री जी का विशेष ध्यान सुपौल जिले पर है।सहरसा टाईम्स ने इनसे भी कई
कड़े सवाल किये। बिजली
के लिए सहरसा में हाहाकार मचा हुआ है।स्थायी समाधान के बिना लोगों का
गुस्सा शांत करा पाना इसबार मुमकिन नहीं है। बंधक बने
अधिकारियों को तो आखिरकार आजाद कर दिया गया लेकिन उनसे यह शर्त कराया गया
है की अगर 24 घंटे के अन्दर बिजली व्यवस्था नहीं सुधरी तो वे
उनका हुक्का--पानी तक बंद कर सकते हैं।अब 24 घंटे के बाद यह देखना
दिलचस्प होगा की इस बिजली आन्दोलन का रुख क्या और कैसा होगा।
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