रिपोर्ट चन्दन सिंह: आज नवमी के
दिन माँ सिद्धिदात्री के दर पर जन सैलाब उमड़ पड़ा है.महानगर से छोटे शहरों
की बात तो छोड़िये सुदूर ग्रामीण इलाके में भी माँ के दर पर माथा टेकने के
लिए होड़ मची हुई है.सहरसा जिला मुख्यालय में भी कई जगहों पर माँ की पूजा
के लिए कई भव्य पांडाल बनाए गए हैं जहां भक्तों की भीड़ उमड़ रही है.इन
विभिन्य पूजा पंडालों में खासकर के महिलायें और बच्चियों की अपार भीड़ देखी
जा रही है.महिलायें और बच्चियां माँ सिद्धिदात्री से जहां अपने मन की मुराद
पूरी कराने के लिए माँ के दर पर अपना माथा टेक रही हैं वहीँ माँ रीझ सके
इसके लिए चुनरी और चढ़ावा चढाने के लिए वे बाबली भी हो रही हैं.
महिलायें तो
माँ का खोंचया भरने के लिए इतनी उतावली दिख रही हैं मानों कोई रिकार्ड
कायम करने की ठान रखी हो। थाना
चौक,भी.आई.पी रोड,रेलवे कोलोनी,सहरसा कॉलेज गेट,कचहरी ढाला और रिफ्यूजी
कोलोनी स्थित माँ के पांडाल काफी भव्य बनाए गए हैं जहां भक्तों की अपार भीड़
भी उमड़ रही है.सहरसा के इनदोनों पंडालों में थाना चौक स्थित पांडाल का कुछ ख़ास
महत्व है.शहर के बीचोबीच बने इस पांडाल तक भक्तों को पहुँचने में आसानी
होती है इसलिए जाहिर सी बात है की यहाँ अपार भीड़ उमड़ती है. शाम ढलते ही
यहाँ की अप्रत्यासित भीड़ किसी को भी दांतों तले ऊँगली दबाने को विवश कर देता है. महिलायें यहाँ किस तरह से धक्का--मुक्की करती हुई माँ की
पूजा-अर्चना में जुटी हैं.माँ को चढ़ावा और चुनरी चढाने की उनमें बेताबी तो
है ही कैसे माँ का वे खोंचया भर सकें इसके लिए भी उनका मन जरुरत से कहीं
ज्यादा व्याकुल है.
माँ तो माँ हैं.दर खुला है उनका जहां भक्तों के आनी की कोई सीमा तय नहीं है.लोगों को अपनी मन की मुरादें माँ से पूरी करानी है.माँ की करुणा बरस रही है जिसमें भक्तजन गोते लगा रहे हैं.दुर्गा है मेरी माँ,अम्बे है मेरी माँ.जय माता दी.
माँ तो माँ हैं.दर खुला है उनका जहां भक्तों के आनी की कोई सीमा तय नहीं है.लोगों को अपनी मन की मुरादें माँ से पूरी करानी है.माँ की करुणा बरस रही है जिसमें भक्तजन गोते लगा रहे हैं.दुर्गा है मेरी माँ,अम्बे है मेरी माँ.जय माता दी.
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