रिपोर्ट चन्दन सिंह : पिछले
पंद्रह साल के दरम्यान तीन अलग--अलग रेल मंत्रियों के द्वारा सहरसा के
रेलवे ओवर ब्रिज का शिलान्यास किया गया लेकिन हद की इंतहा देखिये की उसका
निर्माण कार्य आजतक शुरू नहीं हो सका.दशकों से जाम की समस्या से
हलकान--परेशान सहरसावासियों को इस तकलीफ से कब की निजात मिल गयी होती लेकिन
क्षेत्रीय प्रभावशाली नेताओं और रसूखदारों के निजी स्वार्थ और हस्तक्षेप
की वजह से इस रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य आजतक शुरू नहीं हो सका.अब
लोगों का धैर्य जबाब दे चुका है. सहरसा जिला
मुख्यालय के सुपर बाजार के पश्चिमी गेट प़र कोसी प्रमंडलीय रेलवे ओवर ब्रिज
निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले जिला पार्षद सह समाजसेवी प्रवीण आनद
सहित चार लोगों ने एक साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल यानि सत्याग्रह की
शुरुआत की है.इसबार आरपार की लड़ाई है.इन सत्याग्रहियों का साफ़ कहना है की
अभी तो शुरुआत में महज चार साथी भूख हड़ताल प़र बैठे हैं लेकिन आगे
अनशनकारियों की संख्यां कहाँ तक पहुंचेगी,कहना नामुमकिन है.इस बार ओवर
ब्रिज का निर्माण शुरू वे करवाकर के ही रहेंगे की उन्हौनें हुंकार भरी गयी
है.जंगे ओवर ब्रिज का बिगुल बज चुका है.यह लड़ाई जनता बनाम नेता और
शासन--प्रशासन है.इस अनिश्चितकालीन अनशन की शुरुआत गीत--संगीत,भजन और
देशभक्ति गीतों के रंगों में सराबोर होकर हुई.
इस
आन्दोलन के सभी रास्ते ओवर ब्रिज तक जाते हैं.जंगे ओवर ब्रिज का विगुल बज
चुका है.ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू कराने का कठिन मगर इकलौता संकल्प
है.आखिर में हम भी कहेंगे यहाँ ओवर ब्रिज के अभाव में "बेजा खत्म हो रही
हैं जिंदगियां साहेब,नींद से जागिये और रहनुमा बनिए"
Sahi nirnay liya hai ye to hona hi chahia tha hum aapkai sath hai
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