चन्दन सिंह की रिपोर्ट : कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़.भूख से कुलबुलाते पेट और खामोश चूल्हे.गरीबी,बेकारी और अभाव में सिसकते और सुबकते कोसी के इस इलाके में यूँ तो आफतों की कोई कमी नहीं है लेकिन असमय विभिन्य तरह की बीमारियों की चपेट में आकर लोगों की हो रही मौतों से यहाँ की जिन्दगी दोजख में बेमानी होकर रह गयी है.यह अलग बात है की इससे यमराज को काफी राहत और सुकून मिल रहा होगा.कोसी नदी के कहर को हर साल सिद्दत के साथ झेलने वाले इस इलाके में विभिन्य तरह की बीमारियों के शिकार होकर लोग असमय काल--कलवित हो रहे हैं.खासकर के
कोसी इलाके में शुद्ध पानी एक बहुत बड़ी समस्या है.एक तो पानी में आयरन की मात्रा अत्यधिक है उसपर पानी बिलकुल पीला और बदबूदार निकलता हैं.जाहिर सी बात है की पानी में विभिन्य तरह के कीटाणु भी होते हैं.लेकिन लोग आखिर करें भी तो क्या.सम्बद्ध विभाग और सरकार इस मामले में बिल्कुल खामोश है.सरकार के प्रयास से जिले में PHED विभाग ने आमलोगों को शुद्ध पानी पिलाने के लिए करोड़ों की दो योजनायें कोसी अमृत पेयजल और आयरन रिमूवल प्लांट (IRP)युक्त चापाकल योजना चलाई लेकिन ये दोनों योजनायें महज खाऊ--पकाऊ बनकर रह गयी और जिले के लोग इसके एक बूंद पानी को भी हलाक के नीचे नहीं पहुंचा सके.ऐसे में लोग गंदे पानी को पीने को विवश हैं.ग्रामीण इलाके की बात तो छोडिये जनाब शहरी इलाके में भी लोग गंदे और बदबूदार पानी पीने को विवश हैं.लोगों के सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं है. लोग ऐसे पानी को पीकर अक्सर बीमार ही रहते हैं.खासकर के गरीब तबके के लोगों को तो शायद स्वस्थ्य रहने की इजाजत ही नहीं है.ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम छोटे--बड़े अस्पताल से लेकर शहर के अस्पताल गरीब मरीजों से भरे रहते हैं.इन अस्पतालों में मरीजों को कैसी स्वास्थ्य सुविधा मिलती है इसकी चर्चा करना,कम से कम आज बेमानी है.
मौत का पानी |
अगर आपके गले सुख रहे हैं और आपको पानी की शख्त जरूरत है,फिर भी कम से हम आपको सहरसा के ग्रामीण क्षेत्रों में कभी भी पानी पीने की सलाह नहीं देंगे.यहाँ मौत का पानी मिलता है.नीतीश जी आप तो साधारण पानी की जगह मिनरल वाटर पीते हैं.कभी सहरसा आईये तो यहाँ के आमलोगों के इस मौत के पानी को भी पीने की जहमत उठाईये.आप इस इलाके का दर्द यहाँ के लोगों के बीच घुसकर देखिये.लेकिन आपको हवाई यात्रा और ए.सी कमरे में बैठे--बैठे फाईलों के मकड़जाल से निकलने की फुर्सत कहाँ है
sir this is not a new thing for we saharsa citizens. We grown up by tolerating these difficulties. But now we must have to think that which type of environment we are going to give our future. If govt doesn't listen to us then we will fight for these basic requirements. If we became fail this time then I'm sure the history of curse for the people of koshi is going to repeat itself again and again.............
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