29-10-2011
देश के कई हिस्सों में गोवर्धन पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया.सहरसा जिले में भी यह पर्व काफी उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया.जिले के सुदूर ग्रामीण इलाके से लेकर शहरी इलाके के पशुपालकों ने गोवर्धन की पूजा--अर्चना करते हुए जहां अपने पशुओं को रंगों से सजाया--संवारा वहीँ उसकी गर्दन में नयी रस्सी और घंटी भी बांधे.गाय और भैंस के सिंग में जहां लाल रंग से श्रृंगार किये गए वहीँ गाय और बैल के शरीर पर विभिन्य रंगों की छाप भी लगाई गयी.खासकर के बैल को विभिन्य चीजों के मिश्रण की घुंटी भी पिलाई गयी.पशुपालकों की मान्यता है है की इस पूजा--अर्चना से उनके दूध देने वाले पशु ज्यादे दुधारू होते हैं वहीँ बैल खेतों में खूब जुताई करते हैं.इस पूजा--अर्चना से उनके पशु एक तरफ जहाँ स्वस्थ्य और निरोग होते हैं वहीँ उनके लिए वे ज्यादा से ज्यादा उपयोगी भी साबित होते हैं.
बदलते परिवेश और जीवन की आपाधापी में आज भी पशुओं को लेकर चिंता की जाती है.अपने पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य और उनके ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बने रहने के लिए आज पशुपालकों ने गोवर्धन की पूजा की.बानगी भर को हम आपको सहरसा के बरसम गाँव में हुई गोवर्धन पूजा का नजारा दिखा रहे हैं.वैसे हम आपको बता दें की पूरे जिले में आज भर दिन यही नजारा रहा.आज जहां इंसानों ने इंसानों का ख़याल छोड़ दिया है वहीँ यहाँ पशुओं की भलाई और उसके बहुरंगे दिन के लिए पूजा--अर्चना की जा रही है.हांलांकि यहाँ भी इंसान उन्हें खुद के लिए बेहतर साबित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं लेकिन जाहिर तौर पर इन मवेशियों का हित भी उसमे जरुर जुड़े हुए हैं.इंसान का जानवरों के लिए चिंतित रहना,ऐसा नजारा है जो भारत छोड़कर विश्व के किसी भी देश में देखने के लिए नहीं मिलेगा.
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