16-09-2011
थम सी जाती है सड़क पे दोड़ती जिन्दगी...
विरान हो जाती है शहर की हर गलिया..
सुनाई पड़ती है तो सिर्फ दर्द से कराहती बेजान लाशो की शिश्किया...
सुनाई पड़ती है तो माँ बहनों की रोने की आवाजे...
बैचैन हो जाती है सुरक्षा विभाग के आलाधिकारी उड़ जाती है इनकी नींदे ...
इनसे किये जाते है तमाम तरह के सवाल कहा हुई सुरक्षा व्यवस्था से चुक...
ओर बन जाती है एक और जाँच कमेटी ..
और फिर सब कुछ धीरे धीरे सामान्य होने लगता....
मातम का शाया सिर्फ उन्ही के यंहा रहता है जिनका कोई आतंकी हमले का शिकार होता है...और तब शुरू होती है राजनीतिक शियाशी खेल...वेवैचारिक खेल जिनका ना तो कोई तर्क होता है ना ही मतलब सिर्फ बहानेवाजी..
जी हाँ .. जब हम आंतरिक सुरक्षा की बात करते है तो उस मायने में मेरा राष्ट्रय काफी पीछे छुट जाता है.. सिर्फ घोटाले और बयानवाजी में आगे..आंतरिक सुरक्षा मामले में भारत अमेरिका से कोशो दूर है... अमेरकी ने जिस तरह से 9 /11 के हमले का जबाव लादेन के मौत से लेकर नई इबारत लिखी उससे सभी आतंकवाद से प्रभावित राष्ट्रय को शिख लेनी चाहिए... परन्तु हमारा भारत तो लोकतान्त्रिक राज्य है यंहा सभी बराबर है .. लेकिन एक साधारण चोर के लिये तो यंहा कठोर कानून है महज किसी आतंकवादी के सामने मेरा कानून इसकी इजाजत नहीं देती की हम भी उसे उसी तरह से मौत की नींद सुला दे जिस तरह से उसने पलक झपटे कई को मौत की नींद सुला दी.. लेकिन नही मेरा लोकतान्त्रिक राष्ट्रय तो उसकी अतिथि देवो में लगा है... उसे तो जिन्दा रखता है ताकि उसपर शियाशी खेल हो सके... बानगी भर के लिये हम उस नेता को याद करे जिसने कसाब को कसाब जी कह कर संबोधन किया .... हम इस राष्ट्रीय पार्टी व उस राजनेता को शतशत नमन करते है जो भारतीय आवाम के लिये कुर्वानी तक देने की कसमे खाते है.
बहुत ही गंभीर सवाल है की लगातार हो रहे आतंकी हमले से जहा सरकार का नाकोदम हो गया है वही भारतीय आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नाम की कानून नहीं दिखती... गौरतलब है की पिछले दिनों दिल्ली के न्यायलय परिसर में हुए बम धमाके ने जिस तरह से सुरक्षा व्यवस्था के कलाई खोल दी... उससे हम अनुमान लगा सकते है की दिल्ली का भीड़ भाड़ वाल इलाका कितना महफूज है.. इस धमाके में एक मेल को लेकर सुरक्षा व्यवस्था तमाम दावा करने लगी..स्कैच जारी किया गया... ५ लाख का इनाम रखा जाता है ... एक आतंकवादी को पकरने के नए तामझाम सरकार की नाकाफी बाया करती है ... एक तरफ कानून व्यवस्था में जिस तरह से राजनीतिज्ञ का दखलअंदाजी हो रहा है वही दूसरी तरफ आतंकवादी फिर से धमाके करने का योजना बना रहा है और हमे किसी बड़े आतंकी हमले के लिए तैयार रहना होगा.....
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