फ़रवरी 06, 2017

राज्‍य सरकार की आधारहीन नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं किसान : किशोर मुन्ना


धान खरीद को लगा सरकारी घुन्न
मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट---
सुपौल (बिहार)---भाजपा के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार मुन्ना ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सरकार की धान खरीद नीति को जमकर कोसा । उन्होनें कहा की राज्य सरकार द्वारा धान खरीद में व्याप्त अनियमित्ता के खिलाफ राज्य व्यापी धरने के तहत कोसी में भी भारतीय जनता पार्टी ने विरोध जताया ।गौरतलब है कि बिहार में राज्य सरकार की अकर्मण्यता के कारण एक प्रतिशत भी धान की खरीद नहीं हो पाई है ।इतना ही नहीं, खुद को किसानों की मसीहा बताने वाली सरकार ने किसानों को बोनस देना भी जरुरी नहीं समझा ।
श्री मुन्ना ने अपने बयान में आगे कहा है की राज्य सरकार ने पैक्स को भी धान खरीदने के लिए एक पैसा नहीं दिया ।जाहिर तौर पर इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है ।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बतायें कि डेढ़ लाख से ज्यादा किसानों के निबंधन के आवेदन को क्यों रद्द किया गया ? ढ़ाई महीने बाद भी 3.20 लाख निबंधित किसानों से मात्र 3.80 लाख मैट्रिक टन धान की खरीद ही क्यों हुई है? इनमें से भी मात्र 35 हजार मैट्रिक टन को ही कुटाई के लिए क्यों दिया गया और मात्र 16 हजार मैट्रिक टन चावल ही जमा क्यों हो पाया है ? बड़ा सवाल यह भी है की आखिर धान कुटने के लिए मिल तैयार क्यों नहीं है ?
धान में नमी का बहाना बनाकर राज्‍य सरकार किसानों की धान खरीद में भी विफल साबित हो रही है ।मगर सरकार धान सुखाने के लिए क्रय केंद्रों पर ड्रायर मशीन भी नहीं लगायी है ।ना ही पैक्सों के साथ मीलों की टैगिंग ही की है ।हद तो यह है की राज्य खाद्य निगम ने चावल क्रय केंद्र भी नहीं खोला है ।परिणामस्वरूप किसानों को मजबूर होकर अपने खून पसीने से उपजाए धान को बिचौलिए के हाथों बेचना पड़ रहा है ।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा प्रति क्विंटल चावल के लिए भारत सरकार तय 2543.91 रुपये की जगह पैक्सों को 168 रुपये की कटौती कर 2376 रुपये तथा बोरे के लिए निर्धारित 41 रुपये की जगह मात्र 15 रुपये  दिलायी जा रही है ।वहीं, दो महीने की जगह एक महीने का ब्याज किसानों को दिया जा रहा है ।प्रति क्विंटल चावल पर 168 रुपये की कटौती से पैक्सों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है ।अगर यही स्थिति रही तो भविष्य में कोई भी पैक्स क्या धान की खरीद कर पायेगा? इसलिए हम महागठबंधन की सरकार से पूछना चाहते हैं कि आख़िरकार किसानों के साथ सरकार धोखा क्यों कर रही है ?किसानों के खून पसीने से उपजाए धान पर राजनीति बंद होनी चाहिए ।किशोर कुमार मुन्ना ने बड़े कड़े लहजे में कहा की राज्य सरकार का किसान विरोधी चेहरा अब उजागर हो गया है ।किसान हमारे अन्नदाता हैं ।उनकी मेहनत का उचित मूल्य राज्य सरकार दे,वर्ना आगे संघर्ष का ग्राफ बहुत बड़ा होगा ।

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