जुलाई 19, 2016

एक बार फिर इंसानियत और मानवता के चीथड़े उड़े


सहरसा टाईम्स---
सुपौल-- एक बार फिर इंसानियत और मानवता के ना केवल चीथड़े उड़े बल्कि दोनों जद से शर्मसार भी हुयी । वाकया सदर अस्पताल सुपौल का है,जहां एक नवजात बच्चे की लाश को किसी ने ठिकाने लगाना मुनासिब नहीं समझा ।नतीजतन कुत्ते और सूअर ने उस नवजात की लाश को नोंच--नोंचकर खा डाला ।आखिर किस ऊहापोह और असमंजस में है इंसान ?क्यों खोखले हो रहे हैं हम ? मौत एक दिन हर किसी की आनी है, फिर मौत पर हम अब मातम मनाने की जगह नजरें क्यों फेर रहे हैं ? क्या हो रहा है हमारे आचरण और हमारी नैतिकता को ? सच में अब घुन्न लग गए हैं इंसानी सोच को..... 

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।