सितंबर 02, 2012

आउट - नोट आउट और मौत का फ़रमान

चन्दन,प्रशांत,प्रणव और विशाल.
रिपोर्ट चन्दन : खेल--खेल के मामूली विवाद में महज आठवीं से लेकर दशवीं के छात्रों ने इंटर के एक छत्र को बीते  मंगलवार को पेट में चाक़ू मार दी थी जिससे उसकी मौत इलाज के दौरान  ही हो गयी थी.क्रिकेट में आउट होने से खफा आठवीं कक्षा के चन्दन ने अपने तीन अन्य दोस्तों के साथ मिलकर विकास नाम के एक किशोर जो इंटर का छात्र था को बीते मंगल के शाम में चाक़ू मारी थी.पुलिस ने ना केवल इन चारों मासूम हत्यारों को दबोच लिया है बल्कि हत्या में इस्तेमाल किया गया चाक़ू भी बरामद कर लिया है.इस ह्त्या की वारदात ने जहां पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है वहीँ यह भी सोचने को मजबूर कर दिया है की क्या पुलिस और कानून का खौफ अब बिल्कुल खत्म हो गया है की बालमन भी जघन्य से जघन्य वारदात को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहा. घटना के बारे में चाक़ू मारने वाला चन्दन बताता है की क्रिकेट के खेल में परसों सोमवार को उसे गलत तरीके से आउट कर दिया गया था.इसका जब उसने विरोध किया तो विकास ने अपने दोस्तों के साथ उसकी पिटाई कर दी थी.इसी बात को लेकर वह गुस्से में था और कल मंगलवार को जब वह खेल के मैदान प़र पहुंचा तो विकास ने फिर उसे बैट से मारने की कोशिश की.उसे इस बात से गुस्सा आ गया और उसने अपने मित्र प्रशांत के पास रखे चाक़ू को लेकर विकास के पेट में मार दिया और वहाँ से अपने दोस्तों के साथ भाग गया.चन्दन बताता है की उसने चाक़ू तो मारी थी लेकिन उसे इस बात का अहसास नहीं था की विकास की मौत हो जायेगी.चन्दन के साथ उसके तीन अन्य दोस्त थे प्रशांत,प्रणव और विशाल.
खेल--खेल में ह्त्या,एक बार तो यह बात गले के नीचे नहीं उतरती लेकिन ऐसा हुआ है.जिस हाथ में कलम और किताब होनी चाहिए उस नन्हें हाथ में आखिर हथियार किस तरह से आ जाते हैं.जो मासूम नौनिहाल कल के देश के भविष्य हैं वे मामूली से विवाद में गुनाहगार कैसे बन जाते हैं.क्या पुलिस और कानून का खौफ और भय धीरे--धीरे खत्म हो चुका है? क्या जेहन में पलने वाला आसमानी सपना दम तोड़ चुका है.बड़ा गंभीर वक्त है. सामाजिक चिंतकों को आगे बढ़कर बहस और विमर्श करना चाहिए.एक दूसरे की गलतियों को ढूंढने में कहीं देर ना हो जाए.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।