अगस्त 23, 2012

जुल्म की इंतहा प़र पुलिस की बेहयाई

मुकेश सिंह की रिपोर्ट  पुलिस की नाकामी और उसकी दादागिरी के आपने कई मामले देखे और हो सकता है की झेले भी होंगे लेकिन आज हम पुलिस की बदमिजाजी की ऐसी तस्वीर दिखाने लाये हैं जिसे देखकर आपका पुलिस प़र से बचा थोड़ा भरोसा भी खत्म होता प्रतीत होगा.बीती रात सदर थाना के कायस्थ टोला स्थित एक घर प़र दबंगों का कहर बरपा.कहने को सगे रिश्तेदारों ने कुछ गुंडों को साथ लेकर रात करीब दस बजे पीड़ित रविन्द्र सिन्हा के घर में घुसे और पहले तो घर के सभी सदस्यों की जमकर धुनायी की फिर घर में रखे 5 लाख कैश सहित जेवरात और कीमती सामान लूटकर चलते बने.इतना ही नहीं इन कलयुगी दानवों ने घर की लड़कियों के साथ ना केवल छेड़छाड़ किया बल्कि उन्हें गंभीर रूप से जख्मी भी कर दिया.
दो लड़कियों के सर प़र गंभीर रूप से चोट आई है.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की रात में ही पुलिस ने जख्मी लड़कियों का बयान लिया लेकिन जख्मी के बयान के बाद भी पुलिस ने दोपहर बाद तक कोई कारवाई नहीं की.सुबह होने प़र जो कोई कारवाई होती नहीं दिखी तो जख्मी लड़कियों ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ सड़कों पर लोगों और मीडिया से इन्साफ की गुहार लगानी शुरू कर दी.पीड़ित जख्मी लड़कियों का कहना है की पुलिस इस मामले में कारवाई करने की जगह आरोपियों को थाने में बिठाकर चाय पिला रही है और नास्ते करा रही है.जहां तक पुलिस अधिकारी का सवाल है तो वे इसे पारिवारिक मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.
सहरसा टाइम्स के साथ पीड़ित लड़की
सहरसा टाइम्स  ने इस मामले को चुनौती के तौर प़र लिया है और वह जबतक पीड़ितों को इन्साफ नहीं मिल जाता तबतक वह पीड़ितों के साथ ना केवल खड़ा रहेगा बल्कि सिद्दत से हक़ और इन्साफ के लिए आवाज भी उठाता रहेगा. इस मामले में दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है.इस मामले में पुलिस ने न्यायपालिका के किसी माननीय जज की तरह त्वरित स्व-विवेक अनुसंधान और एक तरह से फैसला सुना दिया है.सहरसा पुलिस के कामकाज का क्या तरीका है,यह घटना उसी की बानगी है. सहरसा टाइम्स  इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाकर रहेगा,आखिर में उसे इसके लिए जिस हद तक जाना पड़े.

7 टिप्‍पणियां:

  1. Band karo ye Bhastrachar zila prasasan hi hi sirf ac kamre me baith kar vdo confrence karne se police ki image nhi sudhregi cm ancal jaago re........

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  2. ye to hoga hi kyunki waha ke sansad ko waha ki koi jarurat nahi hai, wo jeetkar 3 salon se ek bar v Saharsa ka munh nahi kiya(i,e. Sharad yadav) usse sirf apne party k chinta hai(i,e. Jd u) aur hamlog bar bar aiese logon ko vote de dete hain aur wo jeetkar 5 sal ke baad fir vote mangne aate hain kyunki wo ek party adhyaksh hai na.waise congrats mukesh uncle, you r doing a brilliant job.

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  3. Ham Sab is tarah nahi balki ek unit ki tarah kam kare aur Saharsa Police ke Khilaf Morcha kare Aur In curaption se paida hue Ghuskhoro ko Unki aukad Dikha de taki dubara se is taraha ka koi taklif na ho.

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  4. ye to susashan ka ek aur udaharan de rhi hai police deptt.unki chusti tab nazar aati jab kisi neta ji ke ghar ki aabroo lut rhi hoti.hath me mashal hme hi tham kr chalna hoga,in darindon se khud hi ladna hoga.

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  5. ye sale kamine police wale...kuch kyu nahi karte....ab hum sab ko hi kuch karna chahiye........inhe Mahila help centre se help dilana chahiye...........Prayas Bharti NGO aise mamle me help karti hai...kripa contact kare...Dr.Suman lal 9308368387

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  6. मुकेश कुमार सिंह.सहरसा टाइम्स :-
    यह बिल्कुल सही है की सहरसा पुलिस की नाकामियों की एक लम्बी फेहरिस्त है.बाबजूद इसके ऐसा नहीं है की पुलिस बेहतर और अच्छे काम नहीं करती है.सहरसा पुलिस ने कुछ चौंकानेवाले न्याय संपुष्ट काम भी किये हैं.लेकिन ऐसे कामों को उँगलियों पर गिना जा सकता है.पुलिस या किसी महकमे पर हमला करना,या फिर उसे आघात पहुंचाने का हमारा कतई कोई मकसद नहीं है.खासकर आज हम आपको पुलिस के काम करने के तरीके को अपनी समझ से बताना चाहते हैं.पुलिस के अधिकारियों को आज यह खुशफहमी हो गयी है की वे दिन और रात में अपनी ड्यूटी बजाकर आमलोगों पर बड़ा एहसान करते हैं.आप जब भी किसी अधिकारी से मिलेंगे तो वे आपको किसी मामले से मुतल्लिक फिल्ड में या फिर फाईल में उलझे मिलेंगे.अगर उस वक्त आप उनसे किसी विपदा से उन्हें दो--चार कराना चाहेंगे तो उनका व्यवहार ऐसा होगा मानों धरती पर उनसे व्यस्त कोई बंदा नहीं है.हर वक्त खासकर के पुलिस अधिकारी यह जताने की कोशिश में रहते हैं की अगर वे ना हों तो दुनिया पलट सकती है.ऊपर से लेकर नीचे तक इन पुलिस अधिकारियों को सामने का हर आदमी बेजा और गलत नजर आता है.ये अधिकारी आमलोगों से ऐसा वर्ताव करते हैं मानों उनकी किसी समस्या को सुनकर वे उसपर कोई एहशान कर रहे हों.मैं ऐसे अधिकारियों को सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ की आपने पुलिस की नौकरी सोच-- समझकर और इसकी मर्यादा का ख्याल करके हासिल की होगी.आपको हर हाल में लोगों को अपनी तटस्थ, नैसर्गिक और महती सेवा देनी है.लेकिन ये तो हमेशा बस लोगों को कमतर आंककर उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं.मैं आपको कायस्थ टोला में एक दबंग रिस्तेदार की बर्बरता की घटना में एक पुलिस अधिकारी के बयान को आपको बताना चाहता हूँ.एक अधिकारी आज पीड़ित परिवार के यहाँ पहुँचे और उन्हौनें उस पीड़ित परिवार के सदस्यों से कहा की वे प्रेस--व्रेस और मीडिया वालों के चक्कर में क्यों पड़ते हो.असल काम तो हम करेंगे.ये अत्रकार--पत्रकार कोई काम देंगे क्या.अब आप समझिए ऐसे अधिकारी अपने कर्तव्य के प्रति कितने समर्पित और ईमानदार होंगे.हमें एक दूसरे के प्रोफेशन की महत्ता के साथ--साथ उसकी जिम्मिवारियों को भी समझना चाहिए.यह कहीं से भी जायज नहीं है की मेरा प्रोफेशन अच्छा है और औरों का बेजा और बेकार.पुलिस वालों के काँधे प़र बड़ी जिम्मेवारी है.उन्हें अपनी जिम्मेवारियों से भागना या तौबा नहीं करना चाहिए---

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।