बीते 9 दिसंबर को जिले के पतरघट प्रखंड अंतर्गत बेलहा टोले के अल्पसंख्यक समुदाय प़र कोसी इलाके के दुर्दांत अपराधी पिंटू यादव सहित उसके सहयोगियों द्वारा हमला बोलकर घर जलाने और ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए ग्रामीणों के साथ बर्बरता पूर्वक पिटाई करने मामले में अब नए सच सामने आ रहे हैं.इस मामले में पीड़ित मोहम्मद सुभान के आवेदन प़र पिंटू यादव सहित बारह लोगों और कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध सौर बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.पुलिस ने तब तेजी दिखाते हुए चार लोगों को ना केवल गिरफ्तार कर लिया था बल्कि घटना के दूसरे दिन ही मुख्य आरोपी पिंटू यादव के खिलाफ अदालत से कुर्की--जब्ती का आदेश भी ले लिया था.हाल में ही जमानत प़र जेल से रिहा हुए पिंटू ने कुर्की-जब्ती के भय से 12 दिसंबर को अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इसी मामले में बेलहा गाँव से तीस से ज्यादा संख्यां में आये अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सहरसा के एस.पी से ना केवल मिलने आये थे बल्कि उन्हें इस घटना की पूरी सच्चाई से भी अवगत कराने आये थे.लोगों ने लिखित आवेदन देकर डी.एस.पी को साफ़--साफ़ बताया की गाँव का सुभान मियाँ काफी दबंग हैं और उसने हाल में ही जेल से छूटे पिंटू यादव को फंसाने के लिए चार लोगों के साथ मिलकर अपने घरों में आग लगाई और इस घटना को अंजाम दिया.सुभान ने ही हवा में फायरिंग की थी जिसके पाँच खोखे पुलिस ने बरामद किये थे.सुभान की पिंटू से पुरानी रंजिश है और यह घटना उसी को लेकर प्रायोजित की गयी थी.घटना के बाद खुद मौके प़र एस.पी पहुँचे थे और मामले की जांच की थी.उस वक्त सुभान ने उनलोगों को इतना डरा दिया था की वे एस.पी साहब को सच नहीं बता पाए.इस घटना के बाबत वे आज पूरी सच्चाई बताने आये हैं.
चूँकि सहरसा में मुख्यमंत्री की सेवा यात्रा का तीन दिवसीय दौरा 12 से 14 दिसंबर का था इसलिए पुलिस अधिकारी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे.इसलिए इस मामले में आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी और तुरंत मुख्य आरोपी के खिलाफ कुर्की--जब्ती का अदालत से आदेश ले लिया जिससे पिंटू यादव ने बाध्य होकर आत्मसमर्पण कर दिया.एक तरह से पुलिस ने इस मामले का पटाक्षेप कर राज्य मुख्यालय को अपनी कुशल कार्यशैली का सर्टिफिकेट दे दिया.मुख्यमंत्री के सामने भी पुलिस के बेहतर काम का यह मामला नजीर बन गया.लेकिन अब जो नंगा सच सामने आ रहा है यह पुलिस के लिए बड़ी मुसीबत और चुनौती साबित होने वाली है.आगे देखने वाली बात यह होगी की पुलिस अधीक्षक इस मामले को अब कितनी गंभीरता से लेते हैं और उनकी जांच का रुख कैसा रहता है.
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