रिपोर्ट सहरसा टाईम्स :- गुजरात में 2002 में भड़के दंगों के पहले हमेशा आबाद रहने वाली गुलबर्ग सोसायटी दंगों के बाद से अब तक वीरान है। इस सोसायटी को लोगों ने भूत बंगले का नाम दे दिया है। राज्य में दंगों से प्रभावित कई इलाके फिर से आबाद हुए लेकिन गुलबर्ग सोसायटी की तरफ फिर किसी ने पलट कर नहीं देखा और अब यह उस भयावहता का जीता-जागता स्मारक बन गई है।
क्यों चर्चित है गुलबर्ग सोसायटी :
साबरमती एक्सप्रेस की बोगी नंबर S-6 में विश्व हिन्दू परिषद् (VHP) के कार-सेवक यात्रा कर रहे थे. इस बोगी को निशाना बना कर एक संप्रदाय विशेष के लोगों द्वारा हिन्दू विरोधी नारों के बीच आग लगा दी गई. बताया जाता है कि आग लगाने वालों की संख्या 1500 के क़रीब थी. इस अग्निकांड में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे. कोच को आग के हवाले करने वाले लोग इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि कोच एस 6 में कारसेवक और उनके परिवार वाले यात्रा कर रहे है. कोई हिंदू यात्री बोगी से बाहर ना निकल पाए इसीलिए योजना के अनुसार उन पर पत्थर भी बरसाए जाने लगे. इसीलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इस घटना को एक सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया.(श्रोत पल पल इंडिया)
गुजरात का गुलबर्ग सोसायटी |
28 फरवरी, 2002- गोधराकांड के एक दिन बाद, यानी 28 फरवरी को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी पर उत्तेजित भीड़ ने हमला किया। शाम होते- होते यहां कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। ज्यादातर लोगों को जिंदा जला दिया। 39 लोगों के शव बरामद हुए जबकि कई गायब भी हुए जिन्हें बाद में मृत मान लिया गया। कुल मौतों का आंकडा 69 था और मृतकों में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। चर्चित गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड पर अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए 24 को दोषी करार दिया है जबकि 36 को बेगुनाह करार दिया गया है। फरवरी 2002 में गोधरा कांड के बाद उत्तेजित लोगों ने गुलबर्ग में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 69 लोगों को मार डाला था। घटना के 14 साल बाद आया यह बड़ा फैसला है। फैसला आने के बाद हमले में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने नाखुशी जताई है।(नई दुनिया से आभार) ABOUT GULBARG SOCIETY
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.