यह समय
ईमानदारी से मुझे स्वीकारने के लिए
तैयार नहीं है
मैं पतलून की पॉकेट में सिगरेट नहीं रखता
सैंतालिस वर्षों बाद भी
दिखा जाता हूँ अक्सर
सड़क किनारे या पोस्टऑफिस के आसपास
साइकिल का पंक्चर बनवाते हुए
मशहूर कवियों से मेरे ताल्लुकात हैं
यह महसूस कर खुश हैं मेरे बच्चे
मुश्किल समय में
मैं अभी उबाऊ नहीं बना हूँ !
यह कविता अरविन्द श्रीवास्तव सर के द्वारा लिखी गई है और
http://literaturepoint.com/
पोस्ट की गई ही है.
http://literaturepoint.com/
पोस्ट की गई ही है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.