मई 10, 2016

आखिर कब होगी, बिना "दहेज" की शादी....

मो० अजहर उद्दीन के कलम से--- देश में दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए कितने कानून बने लेकिन अब-तक एक भी सरजमी पे कामयाब होते नहीं दिख रहा है.
आये दिनों देहज के कारण सुसराल वाले लड़की को प्रतारित करने के साथ-साथ उसके जान से भी खेल जाते है.जो दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानून बनी है उसकी पूरी तरह से पोल खोल रही है.लेकिन इसके विपरीत वर्तमान समय में समाज का जिस तरह का माहौल देखने को मिल रहा है.वो काफी दुःखद है.फिलवक्त समाज में प्रेम-प्रसंग का मामला काफी तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है.जो बेहतर समाज के निर्माण में काफी परेशानी बन के सामने आ रही है.जो लव मैरज के नाम से भी सुर्खियों में है.लगता है विवाह की इसी पद्धति से दहेज प्रथा पे अंकुश लग पायेगा.लेकिन ये समाजिक स्तर से गलत है।हर पिता का अरमान होता है की हमारी बेटी के हाथों में भी मेहन्दी लगे और वो डोली में बैठ सुसराल को जाय.लेकिन कई सुसराल में बिन दहेज लाये दुल्हन को मौत के घाट तक उतारा जाता है.एे खुदा अब तू ही हर लोगो को सही सोच से नवाज ताकि किसी गरीब की बेटी के हाथों में भी मेहन्दी लग सके।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।