मई 18, 2015

भूकम्प के बाद .....जमींदोज नेपाल



अमित आनन्द, काठमांडू से:- 
धरती का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. रह--रह कर धरती हिचकोले खा रही है. कुदरत का कहर लगातार बरप रहा है. नेपाल में भूकम्प के दौरान अपनी लोकप्रियता बटोरने में सभी सरकारे और मीडिया लगी रही लेकिन अब हालात बत से बतर  हो गया है. जिसे देखने वाला कोई  नही है. काठमांडू शहर और इसके उत्तर में अवस्थित जिले की सामान्य जीवन अस्त व्यस्त हो गया. भूकम्प के बाद अब लोगों के सामने सबसे बड़ा संकट रहने की है. 80 प्रतिशत से ज्यादा घर जमींदोज हो गया हैं या फिर खतरे से खाली नहीं रहा गया है. लोग  घरबाग़ छोड़कर जा चुके है या अस्थायी तौर पर बगल के ऊँचे पहाड़ पर या खुले मैदान में रह रहें हैं. भक्तपुर जिले के निकोसेरा में प्रायः सभी के घर गिर चुके हैं या रहने लायक नहीं हैं. सुनील कोजू, जो अपने क्षतिग्रस्त घर से बचे सामान को निकालने में लगे थे, बताया की पिछले दिनों से टेंट मे किसी प्रकार अपने छोटे छोटे बच्चे के साथ रह रहें हैं. नेपाल प्राशासन के द्वारा इंजिनियर के द्वारा सर्वे किया जा रहा है. देखते हैं कब क्या होता है ?
पर्यटकों से गुलजार रहने वाला दरबार हॉल, भक्तपुर के लोग अपने पुश्तैनी घर छोर कर जाते देखे गए. उस जगह के सभी घरों को असुरक्षित कर दिया गया है.  

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।