सहरसा टाइम्स की रिपोर्ट:- मैट्रिक परीक्षा में आज सुबह आठ बजे एक बच्चे को जन्म देने वाली माँ सुबह दस बजे से शुरू परीक्षा में ना केवल शामिल हुयी बल्कि असाध्य पीड़ा के बाद भी उसने सभी प्रश्नों के जबाब भी लिखे.अपने भविष्य को लेकर सिद्दत से गंभीर इस युवती का जज्बा निसंदेह समाज और नयी पीढ़ी लिए एक नजीर है. सहरसा टाईम्स इस युवती के साहस और जज्बे को सलाम करता है.
यह है सहरसा का रमेश झा महिला कॉलेज.मैट्रिक परीक्षा में शामिल हो रही यह युवती है जिले के सौर बाजार की रहने वाली चंदन कुमारी.अदम्य साहस और दृढ निश्चय की यह नयी ईबारत लिख रही है.इसने साबित कर दिया है की अगर महिलायें ठान ले तो कुछ भी कर सकती हैं.
आज सुबह आठ बजे इसने अपनी कोख से अपनी पहली संतान को जन्म दिया है.इसे पुत्र हुआ है. इसे असाध्य पीड़ा है लेकिन इसके साहस को देखिये की इसने अपने घर वालों के लाख मना करने के बाद भी यह परीक्षा देने परीक्षा केंद्र पर चली आई.हद तो इस बात की है की केंद्र पर प्रतिनियुक्त महिला दंडाधिकारी,केंद्राधीक्षक सहित अन्य वीक्षकों ने इसे लेटकर परीक्षा देने की सलाह दी लेकिन इसने विशेष सुविधा लेने से इंकार कर दिया.इसने वहीँ बैठकर परीक्षा दी,जहां उसकी तय जगह थी.हांलांकि उसकी बड़ी बहन को उसे संभालने लिए उसके बगल में बैठने को कहा गया.कदाचार के बिना साफ़--सुथड़े और बिना किसी बाहरी मदद के परीक्षा दे रही चंदन देवी कह रही है की उसे काफी तकलीफ हो रही है.चक्कर आ रहे हैं और उसका शरीर घूम रहा है.लेकिन भविष्य में कुछ बनना है,इसलिए वह परीक्षा दे रही है.
महिलाएं किसी से कम नहीं है,यह बात अब काफी पुरानी हो चुकी है.आज परीक्षा में शामिल होकर यह युवती सिर्फ महिलाओं को नहीं बल्कि पुरे आदमजात को सन्देश दे रही है.सहरसा टाईम्स इस युवती के जज्बे को अंतरतम से सलाम करता है.
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