मार्च 25, 2015

अनाथों की दुआ हो कबूल ..............


मुकेश कुमार सिंह की कलम से :- देश का झंडा सदा ऊंचा रहे,इसके लिए कुसहा त्रासदी के सताए हुए अनाथ बच्चे ना केवल उपवास पर हैं बल्कि यज्ञ और हवन भी कर रहे हैं.सहरसा के आकांक्षा अनाथ आश्रम के बच्चे क्रिकेट में कल सेमीफाईनल और फिर फाईनल में भारत की जीत के लिए उपवास में रहकर यज्ञ और हवन कर रहे हैं.बिना किसी सरकारी मदद के आमलोगों की दया और चंदे के दम पर चल रहे इस आश्रम के अनाथ बच्चों की यह पहल निश्चित रूप से नायाब और बेनजीर है.इन अनाथ बच्चों की दुआ कबूल हो परवरदिगार.


यह है बिना किसी सरकारी मदद के आमलोगों की दया और चंदे के दम पर चल रहे आकांक्षा अनाथ आश्रम का नजारा.कुसहा त्रासदी में अनाथ हुए नौ बच्चे सहित कुल इक्कीस अनाथ बच्चे इस आश्रम में पल रहे हैं.पेट की भूख मिटाना इन बच्चों के लिए मुश्किल है.इन बच्चों की जिंदगी एक जंग है.इन मासूम बच्चों को सपने देखने की ईजाजत नहीं है लेकिन ये बच्चे भारतीय क्रिकेट टीम की सेमीफाईनल और फिर फाईनल में जीत के लिए उपवास में रहकर यज्ञ और हवन कर रहे हैं.खुद का भविष्य इनका दांव पर लगा हुआ है लेकिन देश का मान बढ़ा रहे इस जज्बे से ये सभी लवरेज हैं.बच्चे और आश्रम संचालक शिवेंद्र कुमार सभी समवेत कह रहे हैं की भारत की जीत सुनिश्चित है.

यज्ञ और हवन करा रहे विद्वान पंडित जी पंडित भगवान मिश्र आस्ट्रेलिया स्वाहा और न्यूजीलैंड स्वाहा के मंत्रोचारण से पुरे वातावरण में भारतीय जीत का शंखनाद कर रहे हैं. मासूम नौनिहाल भी मंत्रोचारण में दिलोजान से जुटे हैं.पंडित जी का -साफ़-साफ़ कहना है की इस बार भारत की विजय को रोकना नामुमकिन है. यह यज्ञ और हवन नवरात्रा में हो है,इसलिए भारत की जीत सुनिश्चित है.
सहरसा टाईम्स इन अनाथ बच्चों के इस नायाब जज्बे को सलाम करता है.इन अनाथों की दुआ कबूल हो मेरे मौला.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।