मोतियाबिंद का ऑपरेशन /सौ से अधिक लोग हुए सूरदास
/मुफ्त में ऑपरेशन कराना पड़ा मंहगा //// मुकेश कुमार सिंह ////
बीते
23---24 फ़रवरी 2013 को एक एन.जी.ओ बलभद्र स्मृति सेवा संस्थान द्वारा सदर
अस्पताल में लगाए गए नेत्र शिविर में सहरसा जिले के विभिन्य इलाके के
सैंकड़ों लोगों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था जिसमें से हमारे
पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़ सौ से अधिक लोगों ने अपनी आँखों की रौशनी
गंवा दी है। स्वास्थ्य
जानकारों के साथ---साथ पुरे जिले में खलबली मची है।यूँ तो जिले के कई इलाके
के लोगों ने इस नेत्र शिविर में मुफ्त ऑपरेशन कराया था लेकिन सिर्फ बनगांव
के करीब पचास लोगों ने ऑपरेशन कराया था जिनकी आँखों की रौशनी पूरी तरह से
जा चुकी हैं और वे सूरदास बने त्राहिमाम कर रहे हैं।
हम आपको लेकर बनगांव
आये हैं।देखिये यह बजरंग बली चौक का नजारा है।देखिये इन गरीब---मजलूमों
को।बलभद्र स्मृति सेवा संस्थान द्वारा लगाए गए नेत्र शिविर में इनलोगों ने
ऑपरेशन कराकर अपनी जिन्दगी में मुकम्मिल अन्धेरा कर लिया है।इस टोले के
कुसाय साह,सुखदेव साह,नागो मिश्र ,प्रदीप राम,मलैय कामत,दाय जी देवी,नथिया
देवी,सबिया देवी,अहिल्या देवी सहित कुछ और लोगों ने अपनी आँखें गंवाई
है।महज बनगांव के पचास लोगों ने अपनी आँखें गंवाई है वहीँ बगल के गाँव
बलहा,गढ़िया,बैरो सहित कुछ और गाँव की बात करें तो वहाँ कुल मिलाकर पचास से
अधिक लोगों ने अपनी आँखें गंवाई है।
सहरसा सिविल सर्जन डॉक्टर भोला नाथ झा और सहायक चीफ मेडिकल ऑफिसर यू.सी मिश्रा के आदेश से सदर अस्पताल में लगाए गए इस नेत्र शिविर को लेकर बनगांव के लोगों का कहना है की उस शिविर में लोगों की भीड़ जमा करके गरीब लोगों की आँखों की चिर--फार तो कर दिया गया लेकिन उनका उचित देख--भाल नहीं किया गया जिसका नतीजा सामने है की ये लोग अब अंधे हो गए हैं।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इन अंधों में से कुछ लोगों ने महाजन से कर्ज लेकर नेपाल के लहान और भारत के चर्चित शंकर नेत्रालय जाकर अपनी आँखों को दिखलाया लेकिन वहाँ भी इनकी आँखों की रौशनी फिर से नहीं लौटाई जा सकी।उम्र के चौथे पड़ाव पर अब ये लोग सूरदास होकर त्राहिमाम कर रहे हैं।जिन्दगी से खिलवाड़ करने वाले इस गंभीर मसले पर हमने सहरसा के जिलाधिकारी सतीश चन्द्र झा से बातचीत की।उन्होनें कहा की इस बात की जानकारी उन्हें सहरसा टाईम्स के द्वारा ही मिली है।अभीतक कोई पीड़ित या उनके कोई परिजन उनतक लिखित या मौखिक शिकायत लेकर नहीं आये हैं।सहरसा टाईम्स से साक्ष्य सहित पूरी जानकारी लेने के बाद उन्होने इस मामले को बेहद गंभीर बताए हुए कहा की वे एक एडीएम के नेतृत्व में पांच विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम बनाकर जांच करायेंगे और इसके लिए जो भी जिम्मेवार होंगे उनपर बेहिचक कठोर और बड़ी कारवाई होगी।
इधर दुनिया को डूबकर सिद्दत से देखने की चाहत ने इन गरीब---गुरबों को एक फरेबी शिविर में पहुंचा दिया जहां इन्होनें अपनी आँखें गंवा दी।बिना आँख के गैर और अपनों का अब इनके लिए कोई मायने नहीं।अब तो ये सूरदास बने बस औरों के मोहताज हैं।इतने बड़े और गंभीर मामले में स्वास्थ्य अधिकारी फिलवक्त कुछ भी बोलने से कन्नी काट रहे हैं।
सहरसा सिविल सर्जन डॉक्टर भोला नाथ झा और सहायक चीफ मेडिकल ऑफिसर यू.सी मिश्रा के आदेश से सदर अस्पताल में लगाए गए इस नेत्र शिविर को लेकर बनगांव के लोगों का कहना है की उस शिविर में लोगों की भीड़ जमा करके गरीब लोगों की आँखों की चिर--फार तो कर दिया गया लेकिन उनका उचित देख--भाल नहीं किया गया जिसका नतीजा सामने है की ये लोग अब अंधे हो गए हैं।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इन अंधों में से कुछ लोगों ने महाजन से कर्ज लेकर नेपाल के लहान और भारत के चर्चित शंकर नेत्रालय जाकर अपनी आँखों को दिखलाया लेकिन वहाँ भी इनकी आँखों की रौशनी फिर से नहीं लौटाई जा सकी।उम्र के चौथे पड़ाव पर अब ये लोग सूरदास होकर त्राहिमाम कर रहे हैं।जिन्दगी से खिलवाड़ करने वाले इस गंभीर मसले पर हमने सहरसा के जिलाधिकारी सतीश चन्द्र झा से बातचीत की।उन्होनें कहा की इस बात की जानकारी उन्हें सहरसा टाईम्स के द्वारा ही मिली है।अभीतक कोई पीड़ित या उनके कोई परिजन उनतक लिखित या मौखिक शिकायत लेकर नहीं आये हैं।सहरसा टाईम्स से साक्ष्य सहित पूरी जानकारी लेने के बाद उन्होने इस मामले को बेहद गंभीर बताए हुए कहा की वे एक एडीएम के नेतृत्व में पांच विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम बनाकर जांच करायेंगे और इसके लिए जो भी जिम्मेवार होंगे उनपर बेहिचक कठोर और बड़ी कारवाई होगी।
इधर दुनिया को डूबकर सिद्दत से देखने की चाहत ने इन गरीब---गुरबों को एक फरेबी शिविर में पहुंचा दिया जहां इन्होनें अपनी आँखें गंवा दी।बिना आँख के गैर और अपनों का अब इनके लिए कोई मायने नहीं।अब तो ये सूरदास बने बस औरों के मोहताज हैं।इतने बड़े और गंभीर मामले में स्वास्थ्य अधिकारी फिलवक्त कुछ भी बोलने से कन्नी काट रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.