रिपोर्ट चन्दन सिंह: बेहतर शिक्षा के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही सरकार को यहाँ की शिक्षा व्यवस्था लगातार पलीता लगा रही है.पिछले कई वर्षों से लाखों खर्च करके विभिन्य तरह के सामान महज खरीदकर स्कूल में जमा किये जा रहे हैं लेकिन उन सामानों का उपयोग बच्चों द्वारा नहीं किया जा रहा है.जाहिर तौर पर बच्चों के चहुंमुखी विकास के लिए ये आवश्यक सामान फकत शोभा की वस्तु बनकर रह गया है.खासकर कम्प्यूटर तो बिना उपयोग में लाये ही हो रहे हैं बर्बाद. सहरसा के नरियार स्थित मध्य विद्यालय में एक हजार सात छात्र-छात्राएं नामांकित हैं.इस विद्यालय में कम्प्यूटर सेटों को धूल फांकने को विवश कर दिया गया है .तीन वर्ष पूर्व इसकी खरीददारी बड़े अरमान और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की गरज से किया गया था लेकिन ये तमाम सेट संचालक के अभाव में ना केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं बल्कि बिना इस्तेमाल किये ही इसकी वारंटी अवधि भी ख़त्म हो गयी है.बच्चों को एक तरह से इन कम्प्यूटर सेट को छूने तक से मनाही है.
वही दूसरी तरफ जिला मुख्यालय के जिला गिर्ल्स स्कूल में भी वर्षों से एक कमरे में लाखों के कंप्यूटर सेट बंद कर रखे हुए हैं लेकिन मीडिया को स्कूल प्रशासन वहाँ तक यह कहकर पहुँचने नहीं देते की यह व्यस्क होती बच्चियों का स्कूल है वहाँ परबेधरक ना जाएँ.हमने तो महज बानगी के तौर पर कुछ तस्वीरें ही बर्बाद होते कम्प्यूटर की दिखाई है.पुरे जिले का आलम यह जाहिर करने में सक्षम है की इस जिले में कम्प्यूटर शिक्षा पूरी तरह से ना केवल खाऊ--पकाऊ बनकर रह गयी है बल्कि पूरी तरह से बर्बाद और चौपट भी है. यहाँ कम्प्यूटर शिक्षा मदारी का खेल बनकर रह गया है.बच्चों को नैतिकता के पाठ पढाये जाने के साथ-साथ शिक्षकों और अधिकारियों को भी उनके कर्तव्यों का पाठ पढाया जाना आज नितांत आवश्यक हो गया है.
वही दूसरी तरफ जिला मुख्यालय के जिला गिर्ल्स स्कूल में भी वर्षों से एक कमरे में लाखों के कंप्यूटर सेट बंद कर रखे हुए हैं लेकिन मीडिया को स्कूल प्रशासन वहाँ तक यह कहकर पहुँचने नहीं देते की यह व्यस्क होती बच्चियों का स्कूल है वहाँ परबेधरक ना जाएँ.हमने तो महज बानगी के तौर पर कुछ तस्वीरें ही बर्बाद होते कम्प्यूटर की दिखाई है.पुरे जिले का आलम यह जाहिर करने में सक्षम है की इस जिले में कम्प्यूटर शिक्षा पूरी तरह से ना केवल खाऊ--पकाऊ बनकर रह गयी है बल्कि पूरी तरह से बर्बाद और चौपट भी है. यहाँ कम्प्यूटर शिक्षा मदारी का खेल बनकर रह गया है.बच्चों को नैतिकता के पाठ पढाये जाने के साथ-साथ शिक्षकों और अधिकारियों को भी उनके कर्तव्यों का पाठ पढाया जाना आज नितांत आवश्यक हो गया है.
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